बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की कला अध्ययनशाला के शारीरिक शिक्षा विभाग के अर्जुन सिंह सोलंकी ने  मूक एवं बधिर छात्रों पर प्राणायाम, योग और ध्यान से पड़ने  वाले प्रभाव पर अपना शोध कार्य पूरा किया है। सोलंकी ने मूक-बधिर छात्रों के मनोवैज्ञानिक एवं शरीर विज्ञान संबंधी पहलूओं जैसे मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, रक्तदाब, शिखर प्रवार दर, बेसल चयापचय दर आदि का प्रायोगिक अध्ययन किया। शोधकर्ता ने 12 सप्ताह का प्राणायाम एवं ध्यान प्रशिक्षण कार्यक्रम मूक बधिर विद्यालय, मेरठ में क्रियान्वित किया।

शोध में पाया गया कि प्राणायाम एवं ध्यान का मूक-बधिर विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है। यह भी शोध कार्य के माध्यम से सिद्ध हुआ कि प्राणायाम एवं ध्यान से रक्तदाब नियमित होता है तथा अन्य शारीरिक क्रिया संबंधी कारकों जैसे शिखर प्रवाह दर, चयापचय दर आदि नियंत्रित एवं सकारात्मक प्रभाव के साथ कार्य करती हैं।

यह शोध कार्य योग, प्राणायाम, एवं ध्यान मूक-बधिर विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभावकारी परिणामों को पुष्ट करता है। शोधार्थी ने पाया कि मूक बधिर एवं सामान्य छात्रों के बीच सोचने समझने एवं विचार करने में कोई विशेष अंतर नहीं होता है। योग एवं प्राणायाम के माध्यम से दिव्यांगजनों में भी मानसिक बल एवं शारीरिक क्रियात्मक विकास किया जा सकता है।  सोलंकी का विषय समाचीन होने के साथ समाज के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।  भविष्य में मूक-बधिर छात्रों के शैक्षणिक कार्यक्रम में योग, प्राणायाम एवं ध्यान की प्रासंगिकता को सिद्ध करते हुए उनके सार्वभौमिक विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है। सोलंकी ने ग्वालियर एलएनआईपीई डॉ. महेन्द्र कुमार सिंह के निर्देशन में शोध पूरा किया।

 

 

 

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