मानवाधिकार व शहीद वीरनारायण शहादत दिवस पर मदनपुर में प्रभावित ग्रामीणों ने रखा सम्मेलन

बिलासपुर। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने आज ग्राम मदनपुर में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में हसदेव बचाओ सम्मेलन रखा। इसमें हसदेव अरण्य क्षेत्र के 35 गांवों के ग्रामीण व आदिवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि संपूर्ण हसदेव अरण्य संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है। पेसा और वन अधिकार कानून ग्राम सभाओं को अपने जल, जंगल ,जमीन, आदिवासी संस्कृति और रीति रिवाज के संरक्षण का अधिकार देता है। इन अधिकारों की सतत् रक्षा करने हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं पिछले एक दशक से संघर्षरत है।

पिछले दिनों 300 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने परसा कोल ब्लॉक की फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति की जांच और कार्रवाई का वादा किया था, लेकिन कोई भी कार्रवाई किए बिना ही वन स्वीकृति जारी कर दी गई। हालांकि इसका अंतिम आदेश राज्य सरकार ने रोक दिया है लेकिन कंपनी दवाब बनाकर गैर कानूनी तरीके से परियोजना शुरू कराने का प्रयास कर रही है। राज्य सरकार से हमारा आग्रह है कि वह सिर्फ कोरबा जिला नहीं बल्कि सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के अपने वादे पर अमल करते हुए सभी आवंटित कोल ब्लॉक निरस्त करे।
सम्मेलन में मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील एवं मज़दूर आंदोलन से जुड़ी सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली राहत और उनकी रिहाई पर उन्हें क्रांतिकारी जोहार किया गया।
भारत जन आंदोलन से बिजय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस सभा मे सबसे ज्यादा महिलाओं की भागीदारी है और यह दर्शाता है हम हार नही मानेंगे। शहीद वीर नारायण सिंह से हमें यही प्रेरणा भी मिलती है। आज हर वर्ग का संघर्ष धीरे धीरे एकजुट हो रहा है, इसलिए दिल्ली सरकार को मुंहतोड़ जवाब मिला है। दिल्ली में किसानों के संघर्ष ने मोदी सरकार को वैसे ही झुकाया जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों को झुकाया था। हमें लगातार अपने संघर्षों को मजबूत करना होगा, तभी हम फासीवादी ताकतों से लड़ सकते हैं।
जिला किसान संघ से सुदेश टीकम ने हसदेव के आंदोलन को सतत् बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी इस क्षेत्र के मूल निवासी हैं और जल- जंगल -जमीन के मालिक भी। आज शहादत दिवस पर हमारा संकल्प होना चाहिए कि प्रदेश में चारों ओर खदान के नाम से जो बर्बादी हो रही है उसे रोकें। हसदेव के आंदोलन को तोड़ने की बहुत कोशिश हुई परंतु लोगों की ताकत के सामने सफल नहीं हो सके। यही ताकत पूरे छत्तीसगढ़ में लोगों के संघर्ष को प्रेरणा दे रहा है। नंद कश्यप ने सभा में कहा कि आज लंबे संघर्ष के कारण यह आंदोलन देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। कॉप 26 में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए प्रदर्शन हुए। आपका संघर्ष दुनिया के कोने-कोने में पहुंच चुका है। छल बल से संघर्ष को तोड़ने की कोशिश और आपका मुकाबला दुनिया को रास्ता दिखा रहा है।
इस सम्मेलन में शामिल ग्राम सभाओं ने हसदेव अरण्य के सम्पूर्ण वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सतत् करने का संकल्प लिया। आंदोलन को और मजबूत करने एवं किसान आंदोलन की सफलता का जश्न मनाते हुए विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में माध्यम से शहीद वीर नारायण सिंह, महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर और दादा हीरा सिंह मरकाम को श्रद्धांजलि दी और हसदेव अरण्य को बचाने के अपने संघर्ष को लगातार जारी रखने का ऐलान किया। लोगों ने कहा कि यह संघर्ष तब तक नही रुकेगा, जब तक सम्पूर्ण हसदेव के समस्त कोयला खदानों को निरस्त नही कर दिया जाता।
सम्मेलन में हसदेव अरण्य के सभी गांव के सरपंचों, जनपद सदस्यों, गोंडवाना संगठनों के साथियों ने हिस्सा लिया। शामिल लोगों में मदनपुर के जनपद सदस्य बजरंग सिंह पैकरा, संतराम श्याम, बनिया के सरपंच मान सिंह मरकाम, हरदेवा सरपंच शत्रुहन पठारी, गिड़मुड़ी सरपंच गंगोत्री उइके, धजाक सरपंच धनदाय मंझवार, मदनपुर सरपंच देवसाय मरपच्ची, केंदई सरपंच रमेश मंझवार, मोरगा के उप सरपंच सुनील अग्रवाल, पोड़ी-उपरोड़ा सरपंच संघ के अध्यक्ष शोभरन समोया, जिला पंचायत सदस्य उर्मिला सिंह मरकाम, गोंगपा के जिला संगठन मंत्री रामेश्वर सिंह उर्रे, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष शिवराम सिंह मरकाम, कार्यकर्ता विजय पावले, महिला प्रकोष्ठ वासन इकाई की अध्यक्ष विमला पावले, कुलरिया से जोहन सिंह ओरकेरा आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए।
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