पटवारी के सस्पेंड करने पर स्पीकर ने ली चुटकी- राजस्व के सर्वोच्च अधिकारी पर कार्रवाई हो गई

रायपुर। मानसून सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में आज बिलासपुर जिले के अरपा भैसाझार परियोजना के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी का मामला गूंजा। शिकायत मिलने की बात राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने स्वीकार की और जानकारी दी कि तत्कालीन पटवारी को इस मामले में निलंबित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में जांच के लिए दो समितियां गठित की गई हैं। कोटा के तत्कालीन एसडीएम भी जांच के घेरे में हैं।
विधायक नारायण चंदेल ने विधानसभा में सवाल किया था कि अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट में कितनी जमीन का अधिग्रहण किया गया है और दूसरी जमीन की अदला-बदली करने की शिकायतें मिली है या नहीं। इस मामले में दोषी कौन है और उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई।
मंत्री अग्रवाल ने बताया कि परियोजना के चकरभाठा वितरक नहर के लिए अधिग्रहित भूमि से संबंधित दो शिकायतें कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग कोटा एवं राजस्व अनुविभागीय अधिकारी कोटा को मिली। इसके अतिरिक्त मीडिया में आई खबरों के आधार पर जांच के लिए बिलासपुर के कलेक्टर ने जिला स्तर पर एक‌ 6 सदस्य समिति गठित की है। जांच चल रही है। अग्रवाल ने बताया कि अरपा भैसाझार परियोजना में निर्धारित जमीन से अधिक जमीन का मुआवजा भू स्वामियों को दिए जाने की शिकायत मिली है। परियोजना में 5877 भू स्वामियों को 281 करोड़ 84 लाख 67 हजार 105 रुपए का भुगतान किया गया है।
चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि यह राज्य की सबसे बड़ी योजना है जो रमन सरकार के समय शुरू की गई थी। जांच कमेटी जिसकी अध्यक्षता में बनाई गई है वह भी आरोप के घेरे में है।
राजस्व मंत्री ने कहा कि कलेक्टर द्वारा बनाई गई कमेटी की अध्यक्षता एडीएम कर रहे हैं। समिति में 3 डिप्टी कलेक्टर भी लिए गए हैं लेकिन जिस पर आरोप है उस एसडीएम को नहीं रखा गया है।
ज्ञात हो कि इस मामले में 2 दिन पहले कलेक्टर ने तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू को निलंबित कर दिया था जो अब राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत है।
चर्चा के दौरान चुटकी लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने पटवारी के निलंबन के वक्तव्य पर चुटकी लेते हुए कहा कि विभाग के सर्वोच्च अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है।

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