बिलासपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बालिका गृह एवं सखी सेंटर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इसमें उन्हें महिलाओं और बालिकाओं को मिले कानूनी अधिकार की जानकारी दी गई तथा आत्मरक्षा के तरीके बताये गये।

प्राधिकरण के सचिव डॉ. सुमित कुमार सोनी ने बताया कि महिलाएं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार हैं। इसके लिये उन्हें एक साधारण प्रार्थना पत्र जिले के परिवार न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है जिस जिले में निवास वे करती हैं। भरण-पोषण के लिए उस स्थान पर भी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर किया जा सकता है, जिस स्थान पर दोनों पति-पत्नि अंतिम बार एक साथ रहे हो। ‘‘महिला एवं बच्चों को भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है।’’

उन्होंने शासन के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी। निःशुल्क कानूनी सहायता, नागरिकों के मूलभूत अधिकार, मौलिक कर्तव्य, महिला उत्पीडन, महिलाओं से संबंधित अधिकार, महिलाओं के कानूनी अधिकार के अन्तर्गत महिलाओं का भरण-पोषण, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005, दहेज निवारण कानून, छ्त्तीसगढ़ टोनही प्रताडना अधिनियम 2005, महिलाओं के भरण-पोषण संबंधी पति से अधिकार, अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन अधिनियम 2013, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में महिलाओं का संपत्ति में अधिकार कानून के बारे में भी जानकारी दी गई । शिविर में दीप्ति चटर्जी पी.ओ. बालिका गृह बिलासपुर, ललिता खाण्डेकर केयर टेकर सखी सेंटर, बालिका गृह की बालिका, सखी सेंटर की महिलाएं एवं अन्य उपस्थित थे।

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