बिलासपुर। जाने-माने शायर राहत इंदौरी का बिलासपुर के साहित्य प्रेमियों से गहरा सम्पर्क रहा। वे यहां कई बार मुशायरों और कवि सम्मेलन में पहुंचे। ऐसे ही एक मौके पर युवा कवि शेषाद्रि को उनसे मुलाक़ात और अपने कविता संग्रह के विमोचन का अद्वितीय अवसर मिला।

सेंट थॉमस कॉलेज भिलाई में बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में दूसरे वर्ष के छात्र शेषाद्रि को गायन-वादन और पाक कला में रुचि है ही स्कूल के दिनों से वे कवितायें भी लिखते हैं। इसी जुनून में उन्होंने 14 कविताओं का संग्रह ‘परिंदा’ प्रकाशित कर ली। उनकी यह अब अमेजन, किंडल और चेन्नई स्थित नोशन प्रेस पर उपलब्ध है।

शेषाद्रि के लिये अविस्मणीय अवसर था जब 28 नवंबर 2017 को एक कवि सम्मेलन में शामिल होने के पहुंचे राहत इंदौरी ने उनकी इस किताब ‘परिंदा’ का विमोचन किया। शेषाद्रि को राहत इंदौरी की गज़लें और उनका प्रस्तुतिकरण बेहद प्रिय है और बिलासपुर आये तो राहत ने उन्हें निराश नहीं किया। उन्होंने मुखपृष्ठ पर लिखी लाइन- ‘मुझे पंख दो, मैं उड़ना चाहता हूं, अपनी खुशियों की तलाश में, एक मुक्त आकाश में।’

राहत इंदौरी ने कुछ सुनाने की फरमाइश की तो शेषाद्रि ने उनके ही अंदाज़ में अपनी एक नई कविता सुनाई-

जवां मौसम की रवानी को,
झरनों के कल कल पानी को,
दावत दी खुशियों को,
मेज़बानी करता हूँ,
मैं मुस्कुराहटों की किसानी करता हूँ ।

राहत इंदौरी ने इन पंक्तियों पर खूब शाबाशी दी।

शेषाद्रि के पिता पी. रामाराव खुद संगीत से जुड़ी गतिविधियों में गहरी रुचि रखते हैं। बिलासपुर में उनकी संस्था ‘बावरा-मन’ के आयोजन में कई जाने-माने कलाकार आ चुके हैं। एनटीपीसी सीपत में शेषाद्रि की माता पी. श्रीलेखा शिक्षिका हैं।

बेटी श्रुति स्पिक मैके के गुरुकुल अनुभव स्कॉलरशिप के तहत पूरे देश में चयनित 10 प्रतिभागियों में चयन हुआ। वे वर्तमान में आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी के गुरु आगरा घराने के 17वीं पीढी के उस्ताद वसीम अहमद खान से गुरु शिष्य परम्परा के तहत शास्त्रीय संगीत के शिक्षा ग्रहण कर रही हैं तथा बिलासपुर में भातखंडे संगीत महाविद्यालय से बैचलर ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है ।

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