29 मई को हर जिले में कलेक्टोरेट का होगा घेराव- नेताम

बिलासपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा है कि आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी 29 सीटों के अलावा समाज ऐसी सीटों से भी चुनाव लड़ेगा जहां 20 से 40 फीसदी तक आदिवासी मतदाता हैं। समाज 50 से 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों ने समाज को चुनाव मैदान में उतरने के लिए मजबूर किया है।

बिलासपुर में आज सर्व आदिवासी समाज की बैठक सरकंडा स्थित गोंडवाना भवन में हुई जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई। इससे पहले प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए नेताम ने कहा कि मिलकर लड़ने के लिए विभिन्न छोटे दलों से भी उनकी चर्चा चल रही है। अगर वह भी साथ आ गए तो मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि बस्तर में 20 से 25 आंदोलन किए जा रहे हैं मगर न सरकार, न प्रशासन किसी तरह से आंदोलन को खत्म कराने या चर्चा करने के लिए तैयार है।

नेताम ने कहा कि 20 साल पुराने सर्व आदिवासी समाज संगठन में कई वरिष्ठ सामाजिक और राजनीतिक लोग शामिल हैं जो समाज को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा संविधान में दी गई व्यवस्था को लागू कराने की मांग लगातार की जा रही है। मगर राज्य सरकार आदिवासियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है या फिर देना नहीं चाहती है। इसी बात से नाराज होकर समाज अब समाज राजनीति के क्षेत्र में सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उनको आदिवासियों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। यहां तक कि संविधान के नियमों का भी उनके द्वारा पालन नहीं कराया जा रहा है। बहुत कठिन समय आ गए हैं आदिवासियों के लिए। जल जंगल जमीन बचाने के लिए खतरा मोल लेना पड़ रहा है।

सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बी एस रावटे ने कहा कि विभिन्न दलों से आदिवासी नेता सांसद और विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि जरूर बन जाते हैं मगर दलों में जाने के बाद वह दल की भाषा बोलने लगते हैं और समाज को उपेक्षित कर देते हैं। तमाम आदिवासी परेशानियों को लेकर 23 सूत्री मांगों को पूरा कराने 29 मई को पूरे प्रदेश भर में जिला स्तर पर कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपेंगे। प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री सपना हो गया है। बस्तर में संवैधानिक मूलभूत अधिकार भी लोगों को प्राप्त नहीं है। निर्दोष आदिवासियों को मारा जा रहा है। फोर्स बढ़ाकर आदिवासियों के साथ ज्यादतियां की जा रही है। तमाम तरह के घोटालों का अंबार लगा हुआ है, सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है। विभिन्न दलों में आदिवासी समाज के 29 विधायक हैं मगर सभी राजनीतिक दलों का पट्टा लगाकर बैठ गए हैं और समाज के लिए गूंगे बहरे हो गए हैं।

इस मौके पर बिलासपुर के पूर्व एडिशनल एसपी व गोंडवाना गोंड़ महासभा के अध्यक्ष अकबर राम कोर्राम ने कहा कि समाज का काम सामाजिक काम करना होता है मगर पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों ने चुनाव लड़ने के लिए उन्हें बाध्य कर दिया है। 2016 में बीजेपी सरकार ने आदिवासियों को जमीन लीज पर दिए जाने का आदेश निकाला था। इसके कारण हजारों एकड़ जमीन पिछले दरवाजे से दूसरों के पास जा रही हैं। 700 फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लोग विभिन्न संस्थानों में काम कर रहे हैं, मगर कार्रवाई नहीं हो रही है। आदिवासी इंजीनियर और मेडिकल छात्रों को परिवार की ढाई लाख रुपए सालाना आय होने पर छात्रवृत्ति  जारी नही की जा रही है जबकि दूसरे समाज को 8 लाख रुपए होने के बाद भी उन्हें छात्रवृत्ति दी जा रही है। भर्ती पदोन्नति रोस्टर के हिसाब से नहीं हो रहा है। आदिवासियों के सामाजिक ताना-बाना को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रदेश सचिव विनोद नागवंशी ने कहा कि आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण देने को लेकर कोई भी चर्चा नहीं हो रही है। पेसा बनने के बाद ग्रामसभा के अधिकारों को ही छीन लिया गया है। आदिवासी निरीह जिंदगी जी रहे है। नक्सल समस्या में भी आदिवासी ही मारे जा रहे हैं। सड़क बनाना हो या कुछ भी कार्य करना हो, आदिवासियों की जमीन छीन ली जा रही है। यही नहीं फॉरेस्ट एक्ट में लगातार कार्रवाई कर आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

पत्रकारों से चर्चा के दौरान कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे, प्रदेश प्रभारी जीवराखन मरई, जिला अध्यक्ष कांकेर मानक दरपट्टी और बिलासपुर जिला अध्यक्ष रमेश चंद्र श्याम सहित अन्य आदिवासी नेता मौजूद थे।

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