रविद्रनाथ टैगोर कला एवं संस्कृति केंद्र और वनमाली सृजनपीठ का सीवीआरयू में आयोजन

बिलासपुर। डॉ.सी.वी.रामन विश्वविद्यालय में जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली जी की स्मृति में पुण्यतिथि के अवसर पर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। इस परिचर्चा में साहित्यकारों और प्राध्यापकों ने साहित्य में उनके योगदान को याद किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।

इस अवसर पर उपस्थित डॉ सी. वी. रामन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरपी दुबे ने कहा कि साहित्यकार ज्ञान का सृजन करता है, और समाज को आगे ले जाता है वनमाली जी ऐसे ही साहित्यकार थे। उनका मानना था कि साहित्य कोई मनोरंजन नहीं बल्कि जीवन दृष्टि है। साहित्य को पढ़ने से जीवन में परिवर्तन होता है । वनमाली के साहित्य में भारतीय समाज का दर्शन है।

कार्यक्रम में सम कुलपति डॉ पी के नायक ने भी उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। इस अवसर पर उपस्थित वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने कहा कि किसी व्यक्ति को स्मरण करने के लिए दो अवसर होते हैं पहला जन्म तिथि और दूसरा पुण्यतिथि । कोई भी श्रेष्ठता अपनी पूर्णता में से पहचानी जाती है इसलिए पुण्यतिथि भी महत्वपूर्ण होती है। । उन्होंने कहा कि संतोष चौबे ने अपने पिता की विरासत को भव्यता प्रदान की है, उन्होंने अपने पुत्र को इस योग्य बनाया कि वह अपने पिता को आज भी भव्यता प्रदान कर रहे हैं।

इस अवसर पर उपस्थित दूरवर्ती शिक्षा के निदेशक डॉ. अरविंद तिवारी ने कहा कि वनमाली जी वास्तव में साहित्य साधना के ज्योति थे। उन्होंने साहित्य जगत को उस ज्योति के प्रकाश से आलोकित किया।

इस अवसर पर संस्कृति विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ वेदप्रकाश मिश्रा ने वनमाली जी के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर रविंद्र नाथ टैगोर कला एवं संस्कृति केंद्र  की समन्वयक डॉ.काजल मोइत्रा, हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.आंचल श्रीवास्तव सभी विभागों के विभागाध्यक्ष विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में छात्र.छात्राएं एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

 

 

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