बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने अपनी जाति को लेकर गठित उच्चस्तरीय जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने की नोटिस को खारिज करने की मांग की थी।

मालूम हो कि संतकुमार नेताम ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति को लेकर याचिका दायर कर रखी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई कर फैसला देने के लिए कहा था। इस परिप्रेक्ष्य में पूर्व में आईएएस रीना कंगाले की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय छानबीन समिति का गठन किया गया था, जिसके आधार पर सन् 2017 में तत्कालीन कलेक्टर ने जोगी का आदिवासी जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट गये थे और उन्होंने समिति की वैधता को राजपत्र में प्रकाशन नहीं होने, समिति के कई सदस्यों की भूमिका को अध्यक्ष द्वारा निर्वहन किये जाने के आधार पर चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने रीना कंगाले कमेटी द्वारा 17 मार्च 2017 के बाद की गई समस्त कार्रवाई को निरस्त कर दिया था और राज्य सरकार को नई उच्चस्तरीय छानबीन समिति बनाने का निर्देश दिया था। इस आधार पर राज्य सरकार ने दूसरी समिति आदिवासी विकास विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता में समिति बनाई। इस समिति ने जोगी को बीते 23 मार्च को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इस नोटिस को लेकर जोगी हाईकोर्ट गये थे। जस्टिस गौतम भादुड़ी की कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई हुई। जोगी की ओर से अधिवक्ता राहुल त्यागी की ओर से तर्क दिया गया कि यह नोटिस 29 नवंबर 2014  को डीबी के समक्ष प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के विपरीत है, जिसमें उन्हें राहत दी गई है। नेताम की ओर से उपस्थित अधिवक्ता संदीप दुबे व शासन की ओर से उप-महाधिवक्ता फौजिया मिर्जा ने इस तर्क का खंडन करते हुए कहा कि सन् 2014 का जांच प्रतिवेदन यदि जोगी के पक्ष का है तो उन्हें मौजूदा छानबीन समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना चाहिए। वैसे भी कोर्ट ने सन् 17 मार्च 2017 के बाद छानबीन समिति द्वारा लिये गए निर्णय और पारित आदेश को शून्य घोषित किया है। उसके पहले जो जांच की प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं, उनको निरस्त नहीं किया गया है। जोगी पहले भी समिति की ओर से आई नोटिस का जवाब दे चुके हैं।

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद छानबीन समिति द्वारा जारी नोटिस को निरस्त करने की जोगी की याचिका को अपर्याप्त बताते हुए खारिज कर दिया है। अब जोगी को मई माह के पहले सप्ताह में ही छानबीन समिति के समक्ष अपना पक्ष रखना पड़ सकता है।

 

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