बिलासपुर । लॉकडाउन के कारण करीब दो माह से बंद हाईकोर्ट तथा अधीनस्थ न्यायालयों में 18 मई से शुरू होने वाला ग्रीष्मकालीन अवकाश रद्द कर नियमित कामकाज शुरू किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षा के कड़े नियम भी लागू किये गये हैं, जिसके तहत पहली बार हाईकोर्ट के वकील कोट और गाउन के बिना अदालती कार्रवाई में शामिल होंगे। रेड जोन में स्थित अदालतों में अभी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अत्यावश्यक मामले ही सुने जायेंगे।

कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में पिछले बीते 23 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है। इसके चलते छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में कामकाज स्थगित रखा था। इस दौरान हाईकोर्ट और सत्र न्यायालयों में सिर्फ अत्यावश्यक प्रकरणों की वर्चुअल सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई। अदालत के कामकाज में आये व्यवधान को देखते हुए चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट सहित सभी अधीनस्थ न्यायालयों का ग्रीष्कालीन अवकाश निरस्त कर दिया है। साथ ही निर्णय लिया गया है कि वर्चुअल सुनवाई के अलावा फिजिकल उपस्थिति के साथ सुनवाई होगी।

अदालती कार्रवाई के कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कई एहतियाती कदम उठाये गये हैं। उन स्थानों में अभी अदालतें शुरू नहीं होंगी जो रेड जोन में हैं। कोर्ट में अधिवक्ता बिना गाउन या कोट पहने ही सफेद शर्ट, पेंट के साथ केवल बेंड और टाई पहनकर सुनवाई के लिए उपस्थित हो सकेंगे। कुछ दिनों पूर्व प्रधान न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों ने मामलों की सुनवाई गाउन के बगैर की थी। इसके बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सचिव श्रीमंत राव ने देश के सभी अधिवक्ताओं के लिये इस सम्बन्ध में 14 मई को दिशा निर्देश जारी कर दिया था। अधिवक्ताओं ने भी इस आशय की मांग की थी।

छत्तीसगढ़ विधिज्ञ परिषद् के कोषाध्यक्ष अब्दुल वहाब खान ने कहा कि कोट व गाउन पहनने से दी गई छूट से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी और गर्मी के मौसम में कार्य कर सकने में सहूलियत होगी।

हाईकोर्ट में सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए सीमित संख्या में नये मामले और पांच साल से अधिक समय से लम्बित मामलों की सुनवाई जायेगी। वकील इस दौरान यदि कोर्ट नहीं आना चाहते तो वे ई फाइलिंग भी कर सकते हैं। कोर्ट पहुंचने वाले प्रत्येक व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य होगी। मास्क नहीं लगाने या सामाजिक दूरी का पालन नहीं करने पर अगली बार कोर्ट में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। हाईकोर्ट परिसर में गंदगी फैलाने तथा थूकने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आवश्यक संख्या में डस्टबिन रखे जायेंगे।  जिन वकीलों का केस लगा है या केस फाइल करनी है केवल वे ही कोर्ट परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। एक पक्ष से केवल दो वकीलों को भाग लेने की अनुमति होगी। पक्षकारों को बिना बुलाये कोर्ट पहुंचना प्रतिबंधित किया गया है। फूड स्टाल बंद रखा जायेगा। वकीलों को अपने भोजन की व्यवस्था खुद करनी होगी। एक अप्रैल के बाद प्रदेश में आने वाले व्यक्ति रजिस्ट्रार जनरल या सम्बद्ध अधिकारी की अनुमति से ही कोर्ट परिसर में प्रवेश कर सकेंगे।

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