बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 15 अगस्त, 2020 को 74वां स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरी सादगी एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति महोदया प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने सर्वप्रथम संत गुरू घासीदास जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। राष्ट्रपति महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के पश्चात माननीय कुलपति महोदया ने राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया।
स्वतंत्रता दिवस के पावन एवं पुनीत अवसर पर माननीय कुलपति महोदया प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के प्रांगण में ध्वजारोहण के पश्चात् विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद, विद्यापरिषद के सम्माननीय सदस्यों,
वित्त समिति के सम्माननीय सदस्यों, समस्त शिक्षकों, अधिकारीगण, कर्मचारियों एवं सुरक्षाकर्मियों को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम 74वें स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाईयां दीं।
माननीय कुलपति महोदया ने इस वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते संक्रमण के संकटकाल में अपनी परवाह किए बिना पूरे समय मुस्तैदी से अपने काम पर डटे रहने वाले विश्वविद्यालय के डॉक्टर, यांत्रिकी विभाग के कर्मचारी, सफाई कर्मी, सुरक्षाकर्मी एवं वाहन चालक कोरोना योद्धाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए माननीय कुलपति महोदया ने कहा कि स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के लिये एक अनिवार्य आधारभूत तत्व है। स्वतंत्रता अमूल्य है और किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं हो सकता, बगैर स्वतंत्रता के जीवन वैसा ही है जैसे आत्मा के बगैर शरीर। अपने देश के हजारों, लाखों, लोगों के बलिदान के परिणामस्वरूप भारत को स्वतंत्रता मिली, जिसे अक्षुण्ण रखने के लिये आज भी भारत के वीर अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं।
1857 के विद्रोह, जिसे “भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम” माना गया है, में भी इस प्रदेश का अभूतपूर्व योगदान रहा है। यहाँ भी सिपाहियों के विद्रोह के अतिरिक्त सोनाखान की घटना भी हुई, जिसका नेतृत्व वीर नारायण सिंह द्वारा किया गया। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर 10 दिसंबर सन 1857 ई. को जय स्तम्भ चैक (रायपुर) पर प्राणदंड दिया गया। इस प्रकार स्वाधीनता आन्दोलन में छत्तीसगढ का सेनानी शहीद हो गया, जो एक जनजातीय वीर था।
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में छत्तीसगढ के अन्य अनेक लोगों का योगदान रहा है। जिनमें सहकारी आन्दोलन के अगुआ पंडित वामनराव लाखे, आनरेरी मजिस्ट्रेट सेठ शिवदास डागा, छत्तीसगढ के प्रथम स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल जी, मिल मजदूरों के हितों को लेकर अनवरत 37 दिनों तक हड़ताल करने वाले ठाकुर प्यारेलाल सिंह, स्वतन्त्रता सेनानी डॉ. राधाबाई, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल (डॉ. खूबचंद बघेल की माँ) श्रीमती बेलाबाई, श्रीमती फूल कुंवर बाई, बैरिस्टर छेदीलाल, गुंडाधुर, ई.राघवेन्द्र राव, श्री माधवराव सप्रे आदि का अविस्मरणीय योगदान रहा है। भारत की आजादी की लडाई में छत्तीसगढ के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
स्वतंत्रता की बात करते हुये कर्तव्य की बात करना भी वांछनीय है। वर्तमान वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय में भी भारत के नागरिकों विशेषकर कोरोना वारियर्स जिनमें डाॅक्टर, स्वाथ्य कर्मी, सुरक्षाकर्मी, मीडियाकर्मी और सफाई कर्मियों ने अपने कर्तव्य का बहुत निष्ठा से पालन किया। उनको विशेष रूप से बधाई, जो अपनी जान की चिंता किये बिना जनसेवा और राष्ट्रसेवा में समर्पित हैं। विश्वविद्यालय भी आज के इस पावन दिवस पर विश्वविद्यालय परिसर के कोरोना वारियर्स का उनके सेवा भाव के लिये सम्मान करेगा।
विश्वविद्यालय द्वारा लॉकडाउन के दौरान उठाए गए सकारात्मक कदम- विश्वविद्यालय के द्वारा कोविड-19 महामारी से बचाव हेतु भारत सरकार के दिशा-निर्देशानुसार अनेक कदम उठाये गये। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
01. पीएम केयर्स फंड में 15.83 लाख रूपये का सहयोग।
02. आशुतोष तिवारी के बैंक नोट सेनेटाइजेशन की डिवाइस के आइडिया का चयन
03. सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं दैनिक वेतन भोगियों के वेतन का समय से भुगतान
04. शोध छात्रों को तुरंत प्रदान की गई तीन माह की फैलोशिप
05. प्रतिदिन 400 शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन शिक्षण
06. लॉक डाउन के दौरान ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला/व्याख्यान आयोजित
07. आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने के निर्देश
08. लॉक डाउन के दौरान शिक्षकों और अधिकारियों के द्वारा वर्क फ्राम होम
09. एमएचआरडी एवं यूजीसी द्वारा चाही गई विभिन्न जानकारियों को भेजा
10. भारत सरकार के सभी निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन
11. छात्र हित में विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा 2020-21 की सूचना जारी
12. छात्रों, शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए सभी प्रयास
13. परिसर में सेनेटाइजेशन एवं केमिकल छिड़काव
14. सभी प्रशासनिक कार्य समय से पूर्ण किये जा रहे हैं
15. उचित समय पर बालक एवं बालिका छात्रावासों को खाली कराकर यातायात की सुविधा स्टेशन तक प्रदान कर छात्रों को सुरक्षित करना
16. लॉकडाउन के दौरान समय-समय पर ऑनलाइन जानकारियों का प्रसारण
17. नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जागरुकता
18. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की सुविधा, डॉक्टर ऑन कॉल की सुविधा
19. लॉकडाउन 3.0 में 33 प्रतिशत अटेंडेंस को लागू किया
20. विश्वविद्यालय की वेबसाइट एवं फेसबुक पेज अपडेटेड
21. परीक्षा से संबंधित जानकारी का सतत प्रसारण।
02 मार्च, 2020 को आयोजित हुए अष्टम दीक्षांत समारोह में भारत गणराज्य के माननीय राष्ट्रपति महोदय श्री राम नाथ कोविंद जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य की माननीय राज्यपाल महोदया सुश्री अनुसुइया उनके जी एंव माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी की उपस्थिति ने समारोह को गौरवान्वित किया।
छात्रों की उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों की आशातीत सफलता का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है: नेट-36, पेटेंट-01, गेट-45, जीपेट-16, कैट-03, शोध प्रस्ताव-80, शोधार्थी-123, अनअसाइंड ग्रांट-13, यूजीसी फैलोशिप-22 एवं संचालित शोध परियोजनाएं- 24 शामिल हैं।
सीयू में शोध करेगी विदेश की शिक्षिका
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आसियान इंडिया रिसर्च एंड ट्रेनिंग फैलोशिप 2020-21 कार्यक्रम के अंतर्गत गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में विदेश की शोधार्थी का चयन हुआ है। इससे विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग एवं संभावनाओं का विकास होगा। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत इंटरनेशनल मल्टी लेटरल रीजनल को-ऑपरेशन डिविजन द्वारा डॉ. मो मो आई को इस फैलोशिप हेतु चुना गया है।
शोध, संगोष्ठियां एवं वेबिनार
लॉकडाउन अवधि में विश्वविद्यालय की ऑलाइन गतिविधियां सक्रिय रहीं जिसके तहत रसायन विज्ञान विभाग एवं शारीरिक शिक्षा विभाग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेबिनार का आयोजन किया गया साथ ही जूलॉजी, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार का आयोजन हुआ। विश्वविद्यालय में 31 जुलाई से 06 अगस्त तक ऑनलाइन संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया गया।
शिक्षकों एवं कर्मचारियों को लाभ
विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में कार्यरत 34 शिक्षकों को पीएचडी वेतन वृद्धि प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गयी। विश्वविद्यालय में 182 शिक्षकों के अनुपातिक अर्जित अवकाश स्वीकृत किये गए। अध्यापन गतिविधियों के सुचारू संचालन हेतु 107 नियमित शिक्षकों (07 प्रोफेसर, 16 एसोशिएट प्रोफेसर, 84 असिस्टेंट प्रोफेसर) की नियुक्ति की गयी है। 07 कर्मचारियों का स्थायीकरण किया गया। 13 कर्मचारियों को एमएसीपीएस का लाभ प्रदान किया गया।
केन्द्रीय स्थानन प्रकोष्ठ
विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओं का चयन शासकीय नौकरियों हेतु आयोजित परीक्षाओँ एवं देश की विभिन्न नामी कंपनियों में विभिन्न पदों पर हुआ। इन छात्रों को छह लाख रुपये सालाना तक के पैकेज कंपनियों द्वारा ऑफर किये गये।
विश्वविद्यालय में एनसीसी यूनिट का शुभारम्भ
विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं की लम्बे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए में जुलाई माह में एनसीसी यूनिट का शुभारम्भ एनसीसी ग्रुप मुख्यालय रायपुर के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर जे.एस.भारद्वाज के द्वारा किया गया।
अधोसंरचना विकास
विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष तथा भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी के कर कमलों द्वारा विश्वविद्यालय के 05 नवनिर्मित भवनों का औपचारिक उद्घाटन हुआ। विश्वविद्यालय में भवनों का नामकरण किया गया है, जो निम्नवत है:-
1. नवीन बालक छात्रावास-1: बाबा साहेब डाॅ.बी.आर.अम्बेडकर बालक छात्रावास
2. नवीन बालक छात्रावास-2: शहीद वीर नारायण सिंह बालक छात्रावास
3. अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह: सम्राट समुद्रगुप्त अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह
4. जैव प्रौद्योगिकी विभाग भवन
5. वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग भवन
अन्य अधोसंरचना विकास के अंतर्गत विश्वविद्यालय में मुख्य प्रवेश द्वार तथा केन्द्रीय भण्डार व कार्यशाला का निर्माण कार्य भी लगभग पूर्ण हो रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति
अभी हाल ही में भारत सरकार ने वृहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इंटरनेट, आईसीटी, ऑनलाइन शिक्षा और अन्य तकनीकी विकास का समुचित समावेश किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर तैयार की गई है ताकि शिक्षा को रोजगारोन्मुलक बनाया जा सके।
इसी तारतम्य में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 6 अगस्त को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ब्वदबसंअम वद ज्तंदेवितउंजपवदंस त्मवितउे पद भ्पहीमत म्कनबंजपवद के उद्घाटन सत्र के अपने भाषण में रेखांकित किया कि – ‘‘हम क्या सोचें’’ ;ॅींज जव जीपदाद्ध की जगह ‘‘हम कैसे सोचे’’ (ीवू जव जीपदा) पर जोर होना चाहिये। उन्होने शिक्षा में साइंटिफिक टेंपरामेंट और क्रिटिकल थिंकिंग के विकास पर भी प्रकाश डाला। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक सर्वसमावेशी नीति है, एवं वास्तविक रूप में मैकालियन युग की समाप्ति की ओर एक सराहनीय कदम है।
भारत विश्वगुरू था और रहेगा। हमारा समृद्ध साहित्य, ज्ञान, संस्कृति, कला, दर्शन, विज्ञान, राजनीतिक ज्ञान अतुलनीय रहा है। हजारों वर्षों में अनेक विदेशी आक्रमण इस सोने की चिड़िया की अकूत आर्थिक समृद्धि के लालच में होते रहे परन्तु भारत गिर-गिर के उठा है। भारतीय योग एवं आयुर्वेद का आज कौन प्रशंसक नहीं है? महर्षि सुश्रुत द्वारा शल्य चिकित्सा, महर्षि आर्यभट्ट द्वारा शून्य की खोज, ज्योतिष शास्त्र, समय की गणना, ग्रहों की दूरी की गणना, देववाणी संस्कृत, समुन्नत विज्ञान के प्राचीन गौरव के साथ आज आधुनिक जगत की अनेक उपलब्धियों के साथ हमारे भारत देश का मस्तक गर्व से सदा उन्नत रहे, यही मेरी कामना है। हमारा विश्वविद्यालय विश्व में अपना स्थान बनाकर सदा इस समाज के और राष्ट्र के उत्थान हेत कार्य करे, यही अभिलाषा है। माननीय कुलपति महोदया ने अपने संबोधन का अंत देश प्रेम की प्रसिद्ध पंक्तियों किया- जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं। वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डाॅ. एम.एन. त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, सुरक्षाकर्मी उपस्थित थे। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान सामाजिक दूरी के साथ भारत सरकार के गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, छत्तीसगढ़ राज्य शासन एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों को पालन किया गया।

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