राज्यपाल से मिलकर हटाये गए महाधिवक्ता ने पक्ष रखा, कल तक जवाब देने की बात कही

बिलासपुर। महाधिवक्ता पद से हटाये गए वरिष्ठ अधिवक्ता कनक तिवारी ने रविवार को राज्यपाल से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। इसमें उन्होंने राज्यपाल से हुई बातचीत के बारे में बताया है तथा पद से हटाये जाने के लिए अपनाए गये तरीके पर आपत्ति जताई है। तिवारी ने एक पोस्ट में लिखा है कि वे विवाद नहीं संवाद चाहते हैं।

अपने पोस्ट में तिवारी ने कहा है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार महाधिवक्ता, एडवोकेट जनरल का यदि कोई त्यागपत्र होता है  तो उसे राज्यपाल द्वारा ही स्वीकार किया जा सकता है। अन्य किसी द्वारा नहीं। इसलिए आज मैं छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिला और मैंने उन्हें ज्ञापन दिया। उसमें संक्षेप में वे सारी बातें बताई हैं कि किस तरह मेरा त्याग पत्र हुआ ही नहीं। लिखा ही नहीं गया। फिर भी कथित हवाला देकर कि मुझे काम करने की अनिच्छा है, एक आदेश करवा दिया गया। इसमें मुझे महाधिवक्ता ना समझते हुए मेरी जगह अन्य महाधिवक्ता की नियुक्ति कर दी गई। दोनों एक ही अधिसूचना में। मैंने उन्हें कई नियुक्ति पत्र दिखाए। इसी हाई कोर्ट के एडवोकेट जनरल के संबंध में। जब एक पद खाली होता है, तब दूसरे की नियुक्ति की जाती है । एक साथ दो नामों की नियुक्ति नहीं की जा सकती।

तिवारी ने लिखा है कि राज्यपाल ने इस बात को ध्यान से सुना, समझा और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में आगे मुनासिब कार्रवाई होगी।

उन्होंने कहा कि मुझे कतई राजनीति या दलगत राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है । महाधिवक्ता पद की संवैधानिकता और उसकी गरिमा के साथ यदि ऐसा कोई आचरण शासन द्वारा भी किया जाएगा जो संविधान की भावना के प्रतिकूल है तो मैं उससे सहमत नहीं हो सकता। जितने बरस मैंने वकालत की है उसने बरस की उम्र के एक युवा अधिवक्ता को महाधिवक्ता बनाया गया है । मुझे उनसे कोई नाराजगी नहीं है। मुझे बहुत कुछ तो नहीं आता लेकिन उम्र और अनुभव तो मेरे साथ हैं। महाधिवक्ता का पद मुगल बादशाहत नहीं है जिसमें एक बुजुर्ग को अपमानित करके और युवा को पदस्थ किया जाए।

मालूम हुआ है कि  राज्यपाल से कनक तिवारी की मुलाकात आज करीब आधे घंटे तक हुई। उन्होंने तिवारी को ध्यान से सुना पर इस पर अपनी राय नहीं दी। उन्होंने कल यानि सोमवार को अपनी राय देने की बात कही है।

मालूम हो कि शुक्रवार की रात को महाधिवक्ता पद को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान दिया था। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि महाधिवक्ता कनक तिवारी ने इस्तीफा दे दिया है, उनकी जगह नया महाधिवक्ता नियुक्त कर दिया गया है। देर रात सतीश चंद्र वर्मा को नया महाधिवक्ता बनाये जाने का आदेश जारी हो गया और अगले दिन शनिवार को उन्होंने अपना प्रभार ग्रहण कर लिया। बघेल के बयान के तत्काल बाद ही तिवारी ने कहा कि वे दृढ़तापूर्वक कहते हैं कि उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया है, यदि मेरा कोई त्यागपत्र किसी के पास है तो उसे दिखाया जाये।

एक अन्य पोस्ट में रविवार को ही कनक तिवारी ने नेहरू जी के समय से कांग्रेस के साथ अपने सम्बन्धों के बारे में बताया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि- 1940 में जन्म होने के कारण मेरा सौभाग्य है कि छात्र जीवन में मैंने तालकटोरा मैदान के यूथ फेस्टिवल में नेहरूजी का इंटरव्यू लिया। लाल बहादुर शास्त्रीजी ने रायपुर के कांग्रेस सम्मेलन के अवसर पर मुझे खादी पहनने का शऊर सिखाया था । इंदिरा जी से कई बार मिला। इंदिरा जी का जब सबसे बुरा जन्मदिन था 19 नवंबर 1977 । आपातकाल के बाद तब पूरे देश में संभवत हिंदी अखबारों में मेरा अकेला लेख था रायपुर के देशबंधु जिसमें मैंने यह लिखने का साहस किया था कि कोई ताकत इंदिराजी को सत्ता से बहुत दूर नहीं रख सकती। राजीव गांधी ने तो मुझे अपने हस्ताक्षर से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महामंत्री बनाया। जितने लेख मैंने कांग्रेस पर लिखे हैं मुझे कोई दूसरा समानांतर मध्य हिंदुस्तान में नहीं मिलता है। चुनाव अभियान मैंने नेताओं का किया है पूरे मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ मिलाकर। उसका मैं कोई घमंड नहीं करता ।मैंने पार्टी के प्रति अपना कर्तव्य पूरा किया। पार्टी के पक्ष में लिखता रहूंगा और पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी के साथ जुड़कर कांग्रेस के सिद्धांतों का प्रचार करता रहूंगा। इससे ज्यादा मुझे और कोई महत्वाकांक्षा नहीं रहेगी। पार्टी ने मुझे पहले भी कई पद दिए हैं लेकिन वहां सम्मान के साथ रहा हूं । भूपेश बघेल के भी चुनाव क्षेत्र के गांव-गांव में जाकर कांग्रेस का प्रचार किया है यह बात में रिकॉर्ड पर लाना चाहता हूं।

ज्ञात हो कि आज शाम कांग्रेस ने कहा है कि महाधिवक्ता की नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है और इसे विवादित नहीं बनाया जाना चाहिए।

तिवारी ने इसके बाद एक पोस्ट किया जिसमें लिखा है कि यह ठीक है कि सरकार मेरे मामले में कोई विवाद नहीं चाहती, मैं भी कोई विवाद नहीं चाहता, संवाद तो कीजिये ज़नाब..आप लोग बात ही नहीं करते।

 

 

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