बिलासपुर। केन्द्रीय जेल के प्ले स्कूल में पढ़ रही छह साल की बालिका की पढ़ाई जैन इंटरनेशनल स्कूल में होगी। जेल का निरीक्षण करने गये कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने इसके लिए पहल की।

खुशी (बदला हुआ नाम) जब पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की पीलिया से मौत हो गयी थी। पिता एक अपराध के लिये जेल में सजायफ्ता कैदी है। पांच साल की सजा काट ली है अभी पांच साल और जेल में रहना है। पालन-पोषण के लिये घर में कोई नहीं, इसलिये खुशी को भी जेल में पिता के पास ही रहना पड़ रहा है।

जब वह बड़ी होने लगी तो उसकी परवरिश का जिम्मा महिला कैदी को दे दिया गया।  वह जेल के अंदर ही संचालित प्ले स्कूल में पढ़ती है। कलेक्टर डॉ संजय अलंग आज केंद्रीय जेल बिलासपुर के निरीक्षण के लिये पहुंचे थे। महिला सेल में उनकी नजर महिला कैदियों के पास बैठी खुशी पर पड़ी। खुशी ने बताया कि वह जेल से बाहर निकलकर पढ़ना चाहती है। यहां उसका मन नहीं लगता है। खुशी की बात सुनकर कलेक्टर भावुक हो गये और उन्होंने तत्काल उससे वादा किया कि वे उसका शहर के किसी बड़े स्कूल में एडमिशन कराएंगे। डॉ अलंग ने तत्काल शहर के स्कूल संचालकों से बात की तो जैन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक खुशी को एडमिशन देने तैयार हो गये। लायंस क्लब भी खुशी के एडमिशन में सहयोग करने आगे आया है। जेल में सजा काट रहे खुशी के पिता भी खुशी को हॉस्टल में रखकर बड़े स्कूल में दाखिला दिलाने के लिये राजी हैं।

इस संबंध में कलेक्टर ने जेल प्रशासन, महिला बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तमाम औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया । अब 17 जून से स्कूल खुलते ही खुशी स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करेगी। खुशी के लिये विशेष तौर केयर टेकर का भी इंतजाम किया जाएगा। कलेक्टर ने खुशी जैसे और भी बच्चों के लिये समाज के लोगों से आगे आने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि माता या पिता की सजा के साथ बच्चों को मजबूरी में जेल में रहना पड़ता है। सामाजिक संस्थाएं यदि ऐसे बच्चों की मदद के लिये आगे आएं तो बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here