बिलासपुर। हाईकोर्ट में नौकरी लगाने के नाम पर 20 युवकों से करीब 75 लाख रुपयों की ठगी करने के दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सरगना ने पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र थमाये थे। रौब जमाने के लिये उसने सोशल मीडिया पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से दोस्ती कर रखी थी। मुख्य आरोपी से नगद रकम, कूटरचित फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी पुलिस अधिकारी का परिचय पत्र व सील मुहर बरामद किया गया है।

मुख्य आरोपी यशवंत सोनवानी (23 वर्ष) जांजगीर-चाम्पा जिले के बलौदा थाना के ग्राम पोंछ का रहने वाला है जिसने रामा लाइफ सिटी, सकरी बिलासपुर में किराये का मकान ले रखा था। उसका सहयोगी आशुतोष मिरी (22 वर्ष), गणेश नगर चुचुहियापारा, सिरगिट्टी बिलासपुर का रहने वाला है।

रामा लाइफ सिटी में इलेक्ट्रिशियन तथा गार्ड की नौकरी करने वाले राजा खांडे ने दो दिन पहले सकरी थाने में इस बारे में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कॉलोनी आने-जाने के दौरान उसकी आरोपी यशवंत से पहचान हुई। उसने उसे बिलासपुर हाईकोर्ट में सहायक ग्रेड 2 और 3 के पदों पर नियुक्ति कराने का आश्वासन दिया । उसने खुद को स्पेशल ब्रांच का सब-इंस्पेक्टर बताया।  राजा खांडे ने भरोसे में आकर उसे रुपये दे दिये। इसके अलावा उसने कई अन्य लोगों से हाईकोर्ट में ही नौकरी लगाने के नाम पर झांसा देकर रकम वसूल की। इनमें अजय लहरे, भूपेन्द्र जांगड़े, मुकेश कश्यप, युवराज बघेल, सलील भास्कर, अमर दास कुर्रे, सूय्या सोनवानी, कृत कुमार खांडे, इंद्र खांडे, विकास सोनवानी, जितेन्द्र साहू, लक्ष्मी नारायण साहू, हिमांशु सोनवानी, दिलेश्वर भारद्वाज, दिलहरण बंजारे, विजय कौशिक, आशीष राजपूत, राकेश, जोस्वा जॉन, जूलियट दास, अमन सिंह, विपिन आदि शामिल हैं। इनमें से अमन सिंह ने 10 लाख रुपये तथा जोस्वा जॉन ने 6.80 लाख रुपये दिये हैं। शेष सभी पीड़ितों में से एक लाख से लेकर 5 लाख तक की रकम आरोपियों को दी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 476, 468, 120 बी के तहत अपराध दर्ज किया। पुलिस अधीक्षक के आदेश पर एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने आरोपियों को पकड़ने के लिये एक स्पेशल टीम बनाई, जिसमें साइबर सेल निरीक्षक कलीम खान, प्रदीप आर्या, उप निरीक्षक प्रभाकर तिवारी सकरी के थाना प्रभारी के.बी. परिहार व अन्य शामिल किये गये।

आरोपी के बारे में तकनीकी जानकारी मिली कि वह ट्रांसपोर्ट नगर राजनांदगांव के ममता नगर में रुका है। उसे वहां से घेराबंदी कर पकड़ लिया गया। पूछताछ में आरोपी से मिली सूचना के बाद दूसरे आरोपी आशुतोष मिरी को भी बिलासपुर में उसके घर से गिरफ्तार कर लिया गया।

पूछताछ के दौरान पुलिस को सोनवानी ने बताया कि उसने हाईकोर्ट की वेबसाइट में भर्ती विज्ञापन देखा था, जो बाद में कैंसिल हो गई थी। भर्ती की विज्ञप्ति को उसने हाईकोर्ट की वेबसाइट से डाउनलोड कर ली और आशुतोष मिरी के साथ मिलकर पैसे कमाने की योजना बनाई। सबसे पहले उसने राजा खांडे को ही अपना निशाना बनाया। उसे अपना परिचय स्पेशल ब्रांच के सब इंस्पेक्टर के रूप में दिया और हाईकोर्ट में तैनात होना बताया। उसने उसे प्रभावित करने के लिये अपना फर्जी आई कार्ड दिखाया, सब इंस्पेक्टर की वर्दी वाली फोटो दिखाई। यशवंत लोगों को हाईकोर्ट में तैनात होने का रौब भी दिखाता था। अपने फोन पर उसने कलेक्टर, मजिस्ट्रेट आदि नाम से फोन नंबर सेव कर रखे थे, जिसे लोगों को दिखाता था।

रुपये वसूल लेने के बाद जब उस पर नियुक्ति पत्र देने के लिये दबाव बना तो उसने हाईकोर्ट की वेबसाइट से ही नियुक्ति आदेशों का पीडीएफ डाउनलोड कर लिया, फिर उसे वर्ड में कन्वर्ट कर एडिट कर दिया। इससे नया फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार हो गया जिसमें पीड़ितों के नाम थे। हस्ताक्षर के लिये उसने फर्जी सील लगाये व फर्जी हस्ताक्षर किये। जब पीड़ितों को पता चला कि नियुक्ति आदेश फर्जी है तो वह मोबाइल बंद कर फरार हो गया। आरोपी यशवंत सोनवानी ने बताया कि उसने प्रदेशभर में लगभग 20 लोगों से 70 से 75 लाख रुपये की वसूली की है। उससे पुलिस ने 15 लाख रुपये तथा आशुतोष मिरी से 55 हजार रुपये बरामद किये हैं। फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी परिचय पत्र, सील मुहर दस्तावेज, लैपटॉप और मोबाइल फोन भी उससे जब्त किये गये हैं।

 

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