सीवीआरयू में रायगढ़ कथक पर दो दिवसीय राप्ट्रीय संगोप्ठी का उद्घाटन

पद्मश्री और कला समीक्षक सुनील कोठारी एवं रायगढ़ घराने देश के विख्यात कथक कलाकार पहुंचे सीवीआरयू

रायगढ़ के राजा भानुप्रताप सिंह भी आए
बिलासपुर। डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में रायगढ़ कथक पर दो दिवसीय राप्ट्रीय संगोप्ठी का आयोजन 28 फरवरी को प्रारंभ हुआ। पहले सत्र में राजा चक्रधर और रायगढ़ कथक की जमीन विपय पर और दूसरे सत्र में कथक का पुर्नजागरण काल और रायगढ़ विपय पर देश के विख्यात कलाकार व अतिथि वक्ताओं ने अपनी बात रखी।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति,साहित्यकार और संस्कृतिधर्मी संतोष चौबे ने कहा कि विज्ञान और विकास ने जो रास्ते पकड़े हैं वह बहुत शुभ दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। जिस तरह का  विकास हो रहा है उसमें प्रकृति का, कलाओं का और मनुष्यता का एक तरह से क्षरण हो रहा है। कला-साहित्य और संस्कृति में ही वह गुण है जो मनुष्य को संतुलित बना सकता है। मनुष्य को मनुष्य बना सकता है। चौबे ने कहा कि संयमित दृष्टिकोण ही हमें सभी जगह स्वीकार्य बनाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के विकास से ही हमारा काम नहीं बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोक और शास्त्रीय के बीच का जो पुल है, अगर वह कलाओं में जाए तो अलग अलग आनंद हमें देगा। रायगढ़ राजघराने ने लोक और शास्त्रीय विधा को जोड़ने का अद्भुत कार्य किया है। उसमें प्रकृति के साथ संयोजन भी शामिल है।

इस अवसर पर उपस्थित मुंबई से आए पद्मश्री और कला समीक्षक सुनील कोठारी ने कहा कि ऐसे सभी आयोजन का डाक्यूमेंटेशन किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक षिक्षण संस्थान ऐसे आयोजनों करें और युवा कथक से जुड़े। आज इस बात की जरूरत है।

इस अवसर विशेष रूप में उपस्थित राजा चक्रधर के पुत्र राजा भानुप्रताप सिंह ने कहा कि डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय ने आज ऐतिहासिक आयोजन किया है। राजा साहब ने जो कथक की चिंगारी दी थी वह आज आग बनकर पूरी दुनिया में दहक रही है। कथक को दुनिया में जाना जा रहा है। उन्होंने इस आयोजन के लिए विश्वविद्यालय को साधुवाद भी दिया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि आज विद्यार्थियों को इस बात पर अमल करना चाहिए कि वे जो भी कोर्स चुन रहे हैं उनमें से एक विषय कला भी हो, क्योंकि भावनाओं का जीवन कला से ही मिलता है। इस अवसर पर कथक पर राजा चक्रधर सिंह और रायगढ़ कथक की जमीन विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की क्यूरेटर डॉ.चित्रा शर्मा थी कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे, वरिष्ठ खैरागढ़, बिलासपुर के कथक कलाकार पंडित रामलाल और राजा चक्रधर के पुत्र भानुप्रताप सिंह, मुंबई से आए सुनील कोठारी, भगवानदास माणिक, चेतना ब्यौहार, वासंती वैप्णव, सुनील वैप्णव, दूरवर्ती षिक्षा के डायरेक्टर अरविंद तिवारी,  रायगढ़ घराने के कलाकार,षिप्य और विद्यार्थी उपस्थित थे।

आज का दिन ऐतिहासिक -पंडित रामलाल

लोक कला महोत्सव में नित्याचार्य पंडित रामलाल को शारदा चौबे स्मृति लोक सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए जाने पर प्रदान किया जाता है। यह सम्मान उन्हें विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, साहित्यकार, कवि संतोष चौबे ने प्रदान किया। इस अवसर पर उपस्थित नित्याचार्य पंडित रामलाल ने कहा कि आज का दिन वास्तव में ऐतिहासिक दिन है। डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय में इस अद्भुत आयोजन से यह विश्व में जाना जाएगा। चक्रधर महाराज के पुत्र राजा भानु प्रताप सिंह इस कार्यक्रम में उपस्थित हैं। यह भी गौरव की बात है। साथ ही रायगढ़ राजघराने के देशभर के सभी गुरू और कलाकार यहां उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राजघराने में शास्त्र नहीं बनाया गया। रायगढ़ राजघराने ने यह कार्य किया है जो कत्थक के लिए सदियों तक याद किया जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने कथक की अनेक बंदिशें भी सुनाई। इस अवसर पर कथक के कलाकार भगवान दास मानिक ने कहा कि रायगढ़ घराना अन्य घरानों की तरह समृद्ध घराना है जिसका स्वयं का साहित्य और स्वयं की बंदिशें हैं उन्होंने कहा कि कत्थक पूर्णतया अध्यात्म है और यह हमें अध्यात्म और धर्म से जोड़ता है महाराजा चक्रधर ने कत्थक को एक नया आयाम दिया है।

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