शिलांग बैंड की प्रस्तुति में दिखा क्षेत्रीय और बॉलीवुड संगीत का अनोखा मेल

विश्वरंग-2020 का सीवीआरयू में रंगांरग उद्घाटन, गीत-संगीत और संवाद सहित हुए कई आयोजन

बिलासपुर। विश्वरंग-2020 का उद्घाटन शुक्रवार को भव्य अंदाज में हुआ। कार्यक्रम के वर्चुअल आयोजन में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल, संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल, पर्यावरण एवं सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, आईसीसीआर के चेयरमैन विनय सहस्त्रबुद्धे,  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश डॉ. मोहन यादव, सहित कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की।

विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे ने समारोह में सभी का स्वागत किया। उदघाटन अवसर पर उन्होंने कि कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए यह महोत्सव आयोजित होता है। विश्वरंग सिर्फ हिंदी ही नहीं, बल्कि उसकी बोलियों को भी शामिल करता है। रबिंद्र नाथ टैगोर हमारे आधार हैं और मौजूदा समय में उनकी सोच पर आधारित महोत्सव की सबसे ज्यादा जरूरत थी। यूएसए जैसे देश में विश्वरंग के आयोजकों का कहना है कि उन्हें इस महोत्सव की सबसे ज्यादा जरूरत थी। चौबे ने विश्वरंग 2020 के शुभारंभ की औपचारिक घोषणा की। इसके बाद विश्वरंग सद्भाव यात्रा निकाली गई, जो विश्वरंग स्तंभ पर जाकर खत्म हुई। इस यात्रा में कई जनजाति के लोग शामिल हुए।

महोत्सव के पहले दिन उद्घाटन यात्रा में मध्यप्रदेश की गौरवशाली संस्कृति के बारे में बताया गया। अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विश्वरंग न केवल भारतीय भाषाओं को सशक्त करेगा बल्कि भारत की संस्कृति परंपराओं और जीवन मूल्य को भी मजबूती प्रदान करेगा। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि रबीन्द्रनाथ टैगोर को याद करते हुए इतना बड़ा आयोजन किया जाना और करोड़ों लोगों को जोड़ने का प्रयास करना न सिर्फ भारत अपितु पूरी दुनिया के हित में है।

भारतीय संस्कृति को मिलेगी वैश्विक पहचान-सिद्धार्थ

इस दौरान विश्वरंग के सह-निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा विश्वरंग 2020 का वर्चुअल आयोजन भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस दौरान तीन कार्यक्रम आयोजित होंगे, 20 से 22 और 27 से 29 नवंबर के बीच विश्वरंग, 24 से 26 नवंबर के बीच विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल और 27 से 30 नवंबर के बीच और बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का आयोजन 22 से 29 नवंबर के बीच होगा। विश्वरंग की यह यात्रा वर्चुअल माध्यम से देशभर में 5 लाख लोगों तक पहुंच चुकी है।

भारत एक संस्कृतिक सहिष्णु देश है -प्रो. दुबे

इस अवसर पर सीवीआरयू के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि भारत एक सहिष्णु देश है। यहां अनेक संस्कृतियों का समावेश है। इसके जरिए बहुत अच्छे से हम मुश्किल परिस्थितियों में भी मुस्कुराकर खड़े रहते हैं। हमारी यही खासियत हमें बाकी देशों से अलग बनाती है। हर्ष के बात है कि हम अपने देश की इस संस्कृतिक सहिष्णुता को दुनिया के सामने विश्वरंग के माध्यम से रख रहे हैं।

एशिया का सबसे बड़ा महोत्सव बना विश्वरंग-गौरव

इस अवसर पर डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि विश्वरंग अपने दूसरे साल में ही सौ कदम से भी बड़ी छलांग लगाई है। वर्चुअल आयोजन के कारण दुनिया के कई देश इसमें उत्साह से शामिल हो रहे हैं। साथ ही यह एशिया का कला, सहित्य व संस्कृति का सबसे बड़ा महोत्सव के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।

सितारों ने दी प्रस्तुति

विश्वरंग के पहले सत्र में सांस्कर्तिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। सबसे पहले भारत रत्न से सम्मानित देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी श्रद्धांजिल दी गई। कार्यक्रम में रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीतों के नाट्य प्रस्तुति की गई। इसके बाद कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विश्वरंग के पहले दिन का पहला सत्र समाप्त हुआ। भोपाल के प्रख्यात द्रुपद गायक रमाकांत गुंदेचा का भी स्मरण किया गया। द्रुपद गायन के बाद सुर सागर कार्यक्रम में कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मनोरंजन किया। शास्त्रीय संगीत पर आधारित इस कार्यक्रम में कई कलाकार शामिल हुए। योगेश सम्सी और क्रिस फील्ड्स ने कार्यक्रम का निर्देशन किया। बांसुरी वादक राकेश चौरसिया और सेक्सोफोन वादक स्टुअर्ट वैडेग्राफ भी कार्यक्रम में शामिल हुए। सत्र के अंत में देशभर से कई सांस्कृतिक नृत्यों और संगीत की प्रस्तुति की गई। दिन के चौथे सत्र में जयति चक्रवर्ती ने रविन्द्रनाथ टैगोर के गीतों को बेहतरीन संगीत के साथ परोसा और सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद आमार रात पोहालो जैसे रविन्द्रनाथ के अन्य गीतों की प्रस्तुति हुई। जयति चक्रवर्ती के बाद शिलॉन्ग बैंड ने भी मनमोहक प्रस्तुति दी। शिलांग बैंड ने अपने जनजातीय संगीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विविधता देखने को मिली। कार्यक्रम में अभिनेता अपारशक्ति खुराना के साथ संवाद सत्र खास रहा, जिसमें उन्होंने अपने बॉलीवुड के अनुभव को साझा किया।

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