राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का अभियान ऑपरेशन उम्मीद

बिलासपुर। गुजरात की 55 वर्षीय महिला मोतीबाई अपने किसी परिचित के विवाह में शामिल होने घर से निकली थी लेकिन वह 1761 कि.मी. दूर भटककर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में पहुंच गई। इसकी जानकारी किसी माध्यम से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस गौतम भादुड़ी तक पहुंची। उनके निर्देश पर प्राधिकरण ने प्रयास किया और करीब दो माह उसे सुरक्षित घर पहुंचा दिया गया।

महिला गुजरात के सोमनाथ जिले के उना रामनगर की रहने वाली है। महिला को भटककर पहुंचने के बाद कांकेर के वन स्टाफ सखी सेंटर में रखा गया था।  प्राधिकरण के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वारियाल के निर्देश पर किसी तरह महिला से उसका घर का पता हासिल किया गया। इसके बाद उसके पुत्र का मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिया गया। बेटे ने मां के गुम जाने की बात स्वीकार की और फोन पर बताया कि वह ऑटो रिक्शा चलाता है। पिता रोजी-मजदूरी करते हैं। दो बार ट्रेन और बस बदलकर यात्रा करने और मोतीबाई को लेने आने के खर्च की व्यवस्था वे नहीं कर सकेंगे। इसके बाद कांकेर के जिला न्यायाधीश योगेश पारिक की पहल पर महिला को कांकेर से सुरक्षित रायपुर पहुंचाया गया। रायपुर मे जिला न्यायाधीश संतोष शर्मा के निर्देश पर महिला आरक्षकों व मोतीबाई के लिए ट्रेन का रिजर्वेशन कराया गया, भोजन की व्यवस्था और रास्ते के खर्च की व्यवस्था की गई। सोमनाथ पुलिस स्टेशन में जब मोतीबाई का पति, पुत्र और परिवार लोग पहुंचे तो वहां मोतीबाई को सुरक्षित सामने पाकर खुशी से झूम उठे। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कांकेर व रायपुर के संयुक्त प्रयास से उक्त महिला को उसके परिजनों से मिलवाया गया। न्यायमूर्ति भादुड़ी ने इस पर ‘ऑपरेशन उम्मीद’ के तहत बिछुड़े व्यक्ति को परिवार से मिलाने के कार्य पर प्रसन्नता व्यक्त की और आगे भी ऐसे कार्य जारी रखने का निर्देश दिया। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अब तक 50 गुमे हुए लोगों को ऑपरेशन उम्मीद के अंतर्गत घर पहुंचाया जा चुका है।

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