क्यों गिड़गिड़ाने की जरूरत पड़ रही जनप्रतिनिधियों को?  

300 में से सिर्फ 50  कोविड बेड क्यों रखा अपोलो ने? 

बिलासपुर। शहर के लोकप्रिय कांग्रेस नेता एवं डीएलएस कॉलेज के चेयरमैन बसंत शर्मा की मौत पर 50 से अधिक कांग्रेस नेताओं ने दुख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। पर ये कड़वी सच्चाई है कि कांग्रेस नेता अपोलो के सामने गिड़गिड़ाते रहे पर समय पर उन्हें एक बेड नहीं दिला पाये।

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी बसंत शर्मा के परिजन अपोलो अस्पताल में अदद एक बेड के लिए नेताओं से मिन्नतें करते रहे। कई विधायकों से दरख्वास्त किये। इसमें तीन दिन निकल गए। बसंत शर्मा उसलापुर के ओंकार अस्पताल में जीवन-मौत से जूझते रहे। कांग्रेस नेता आशीष सिंह ठाकुर से बसंत शर्मा के पारिवारिक संबंध हैं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से बात की। डॉ. महंत ने अपोलो अस्पताल फोन किया। तब जाकर तीसरे दिन उनको अस्पताल में एक बेड मिल पाई। तब तक फेफड़े का इंफेक्शन काफी बढ़ गया था। बावजूद इसके वे आठ दिन तक मौत से लड़ते रहे। फिर, वो मनहूस समय आया, जब मौत ने चकमा देकर उन्हें अपना शिकार बना लिया। जाहिर सी बात है, बसंत को तीन दिन पहले अगर अपोलो में बेड उपलब्ध हो गई होती तो फेफड़े का संक्रमण कंट्रोल में आ गया होता। अब जैसा होता है, कांग्रेस नेताओं ने लंबी-चौड़ी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आंसू बहाए हैं। इसे घड़ियाली आंसू ही कह सकते हैें। सवाल यह भी है कि अपोलो ने इतनी बदतर स्थिति क्यों बना दी है कि आम हों या खास बिलासपुर अंचल के लोग वहां इलाज पाने से वंचित हो रहे हैं?  क्यों यहां सिफारिशों की जरूरत पड़ रही और अस्पताल प्रबंधन जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनने की  हिमाकत कर रहा है। अपनी ही लोगों के इलाज के लिये गिड़गिड़ाने से भी काम नहीं हो रहा है।

अपोलो की गुणवत्ता पर सवाल नहीं लेकिन उसके रवैये पर तो जनप्रतिनिधि जागें। एसईसीएल की यहां जनसंघर्ष के बाद स्थापना हुई। क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने के आधार पर जन सहमति पर एसईसीएल ने नाम मात्र की कीमत पर अपोलो हॉस्पिटल के लिये जमीन और बिल्डिंग बनाकर दी। क्या इसीलिये कि जिन लोगों ने इन संस्थानों की स्थापना के लिये संघर्ष किया है वे इलाज और बिस्तर के लिये तरस जायें। ये घटना बताती है कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और सत्ता तथा संगठन से जुड़े लोग उन संस्थानों पर नकेल कसने की कितनी हैसियत रखते हैं। इस आपदा के समय में भी अपोलो हॉस्पिटल ने 300 बिस्तर होते हुए सिर्फ 50 कोविड बेड रखे हैं क्यों?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here