गुटखा के चलते मुंह नहीं खुलने की बीमारी छत्तीसगढ़ में बढ़ती जा रही, कैंसर का खतरा, ऑपरेशन ही निदान -डॉ. सेन

बिलासपुर। अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों ने एक ऐसे मरीज के जबड़ों को अलग कर मुंह खोलने में सफलता पाई है जिसे तीन साल तक पाइप के सहारे भोजन लेना पड़ रहा था। यह मामला दुर्घटना के बाद किये गए गलत उपचार का है लेकिन गुटखा, तम्बाकू दबाकर रखने वाले लोगों को अक्सर इस व्याधि का सामना करना पड़ता है, जो अंततः कैंसर का कारण बनता है।

अपोलो अस्पताल में इसे लेकर एक पत्रकार वार्ता रखी गई। इसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सजल सेन ने छत्तीसगढ़ में जबड़ा बंद होने की गंभीर समस्या,ट्रिसमस की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि पब्लिक हेल्थ फाउन्डेशन की ओर किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार गुटखा, तम्बाकू आदि के चलते 36 प्रतिशत पुरुष और 42 प्रतिशत महिलाओं के जबड़े पूरी तरह नहीं खुल पाते। इससे न केवल आहार लेने में समस्या होती है बल्कि यह आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है। ऐसे मामले छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे हैं। दरअसल, गुटखा खाने का लोगों में चलन बढ़ा है। सार्वजनिक स्थलों पर लोग सिगरेट नहीं पी पाते वे दिनभर गुटखा मुंह में दबाये रहते हैं। पहले भी लोग पान-सुपारी खाते थे पर जबड़ों पर ऐसा खतरा नहीं आता था। दरअसल गुटखा में इस्तेमाल किये जाने वाले तत्व व  जहरीले रासायनिक पदार्थों के कारण भीतरी मुंह की कोमल भीतरी त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है। समस्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसे देखते हुए अपोलो अस्पताल के ट्रिसमस क्लीनिक में माह में एक दिन विशेष रूप से इसकी जांच के लिए शिविर लगाये जा रहे हैं।

प्रेस वार्ता में उपस्थित डेंटल एवं फेशियल सर्जन डॉ. विनय खरसन ने बताया कि सोढ़ी (पथरिया) के मन्नूलाल कोसले को तीन माह पहले अपोलो हास्पिटल लाया गया था। उसके दोनों जबड़े आपस में इस तरह से जुड़े हुए थे कि मुंह बिल्कुल बंद हो चुका था। दरअसल एक सड़क दुर्घटना में उसके जबड़े टूट गये थे। जैसा कि मरीज ने बताया कि रायपुर के एक सरकारी अस्पताल में उसका इलाज किया गया। तब डॉक्टर ने ध्यान नहीं दिया और उसके सहायक ने ऊपर नीचे दोनों जबड़ों को एक साथ तार बांधकर सील दिया। इससे उसका मुंह ही बंद हो गया। तीन माह बाद उसके जबड़े नहीं खुले तो वह वहां दुबारा गया और मुंह नहीं खुलने की अपनी परेशानी के बारे में बताया। वहां डॉक्टरों ने कहा कि अब उसका उपचार नहीं हो सकता, क्योंकि इस दौरान ऊपर नीचे दोनों जबड़े एक दूसरे से चिपक गये हैं। इस वजह से कोसले को पाइप के सहारे भोजन दिया जा रहा था। कई अस्पतालों में भटकने के बाद उसने तीन माह पहले अपोलो अस्पताल में जांच कराई। डॉ. खरसन ने बताया कि यह केस उन्हें चुनौतीपूर्ण लगा। मरीज के दोनों ओर जबड़ों का एक साथ ऑपरेशन करना था। कान के सामने सिर की तरफ कुछ संवेदनशील फेशियल नसें गुजरती हैं, जिसको नुकसान पहुंचने की आशंका थी। इससे मरीज को चेहरे का पक्षाघात भी हो सकता था। हालांकि सतर्कतापूर्वक परीक्षण और सीटी स्कैन करने के बाद यह ऑपरेशन सफलता के साथ पूरा कर लिया गया।

उपचार के बाद स्वस्थ हुए मन्नूलाल ने बताया कि वह कई अस्पतालों का जवाब सुनकर निराश हो चुका था लेकिन अपोलो ने उसे अब पूरी तरह ठीक कर दिया जिससे वे अपने हाथों से खुद खाना खा रहे हैं और पूरी तरह मुंह खुल रहा है।

डॉ. खरसन ने बताया कि एक व्यक्ति का मुंह 30 मिलीमीटर या तीन ऊंगलियों के घुसने लायक खुलना चाहिए। यदि इससे कम खुल रहा है तो इसका मतलब है जबड़े जाम हो रहे हैं, जिससे आगे चलकर मुंह का कैंसर हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से तत्काल जांच करानी चाहिए।  पान-गुटखा-तम्बाकू खाने से ज्यादा खतरनाक है उसे मुंह के भीतर दबाकर रखना। कई लोग इसी हालत में सो भी जाते हैं, जो कैंसर का कारण बनता है। दरअसल मुंह के भीतर का हिस्सा बहुत मुलायम होता है। पान गुटखा, यहां तक कि लौंग इलायची भी यदि रात भर दबाकर सोएं तो इसका असर जबड़ों पर और भीतर की त्वचा पर पड़ता है। जो पहले अल्सर और बाद में कैंसर का कारण बनता है। इसको नुकसान खास तौर पर सोते समय गुटखा, तम्बाकू यहां तक कि लौंग इलाइची दबाकर रखने से भी पड़ सकता है। जागते हुए भीतरी त्वचा अपने-आप साफ होती रहती है।

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