बिलासपुर। कृष्ण जन्माष्टमी की धूम शहर में शुरू हो गई है। अनेक स्थानों पर झूला उत्सव मनाया जा रहा है और भजन कीर्तन का दौर चल रहा है।

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि 23 और 24 अगस्त तय की गई है। आचार्यों ने कल की तिथि को अधिक महत्वपूर्ण माना है। शहर के पुराने श्री वेंकटेश मंदिर में 5 अगस्त भगवान लक्ष्मी वेंकटेश का झूला उत्सव प्रारंभ हो चुका है, जिसका कल जन्माष्टमी पर 24 अगस्त को भजन कीर्तन के साथ समापन होगा। झूला उत्सव का आयोजन प्रतिदिन शाम 6 बजे से किया जाता है। भगवान् वेंकटेश श्री देवी, भू देवी के साथ सायंकाल झूले पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। जन्माष्टमी की झांकी यहां अत्यन्त आकर्षक होती है और भक्तिभाव से ओत-प्रोत हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। प्रतिदिन यहां शाम पांच से सात बजे तक विभिन्न रामायण मंडलियों का रामचरित मानस गान हो रहा है। रात्रि 8 से 9 बजे तक भजन कीर्तन का आयोजन भी किया गया है।

श्री वेंकटेश मंदिर के प्रमुख डॉ. कौशलेंद्रप्रपन्नाचार्य ने बताया कि जन्माष्ठमी का उत्सव 24 अगस्त को मंदिर में मनाया जायेगा। प्रातः काल 5 बजे  श्री कृष्ण जी जागेंगे  फिर दूध, दही, घी, आदि से विधिपूर्ण अभिषेक किया जायेगा। उसके बाद श्री कृष्ण को नए वस्त्र धारण कराके, उनका विशेष श्रृंगार किया जायेगा। शाम 6 बजे श्री कृष्ण लीला देवी- भूदेवी संग झूले पर विराजमान होंगेतथा 6 बजे से  मध्यरात्रि 12 बजे तक भजन कीर्तन का कार्यक्रम होगा। उसके पश्चात ठीक 12 बजे भगवन की महाआरती के साथ जन्मोत्सव मनाया जायेगा। इस बीच स्त्रोत पाठ आदि होंगे, प्रसाद वितरण होगा। इसी दौरान मटकी फोड़ का कार्यक्रम किया जायेगा। यह कार्यक्रम सुबह 3 बजे तक चलेगा।

वहीं घोंघा बाबा श्याम मंदिर के सेवक मनीष सोनी ने बताया  की 24 अगस्त को रात्रि 8 बजे से कलकत्ता के विजय सोनी एंड ग्रुप्स के द्वारा श्री कृष्ण का कीर्तन किया जायेगा जो रात्रि 12 बजे तक कृष्ण जन्मोत्सव तक चलेगा। रात्रि 12 बजे महाआरती होगी।

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर विभिन्न मंदिरों में विभिन्न समाजों के लोगों ने विविध आयोजन किये हैं। इस्कॉन की ओर से विद्यानगर कृष्णा अपार्टमेंट में सीए आशीष अग्रवाल के निवास पर हरिनाम संकीर्तन का आयोजन आज शाम किया गया तथा महाप्रसाद का वितरण किया गया। इस्कॉन मंदिर कल्याण भवन में 24 और 25 अगस्त को भी कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा।

शनिवार 24 अगस्त को शोभायात्रा व विभिन्न स्थानों पर मटका फोड़ प्रतियोगिताएं भी रखी गई हैं।

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