• वर्ष 2025 तक प्रति एक हजार जीवित जन्म में निमोनिया से होने वाली मौतों को तीन से कम रखने का लक्ष्य

  • देश में 5 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों में होने वाली कुल मौतों में 5 से अधिक निमोनिया से

  • प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र में निमोनिया प्रबंधन पर होगा ज़ोर

बिलासपुर । देशभर में पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों में होने वाली मौतों में निमोनिया का भी एक प्रमुख कारण है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार प्रति 1000 जीवित जन्म में 5.3 मौतें सिर्फ निमोनिया के ही कारण होते हैं।  इसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाईज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गई है । कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।

राज्य बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर ने बताया कि बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने में ‘सांस’ कार्यक्रम कारगर साबित होगा । मौतों को तीन से कम करने का लक्ष्य इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक निर्धारित किया गया है। इसके लिए निमोनिया प्रबंधन पर विशेष बल दिया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर कार्यकर्ताओं द्वारा अधिक से अधिक लोगों को निमोनिया के विषय में जागरूक किया जाएगा। साथ ही समस्त सेवा प्रदाताओं का निमोनिया प्रबंधन पर क्षमतावर्धन भी किया जाएगा ।

निमोनिया प्रबंधन में सहायक जैसे स्तनपान, पीसीबी का टीकाकरण एवं उम्र के मुताबिक अनुपूरक आहार की शुरुआत के विषय में आम लोगों में जागरूकता  लाई जायेगी। बच्चों को रेफरल करने से पहले मितानिन द्वारा एंटीबायोटिक के प्रयोग पर बल भी दिया जायेगा। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण देकर निमोनिया की पूर्व पहचान की जायेगी।

अभियान को सफल बनाने के लिए लक्षित लाभार्थियों को पूर्व में ही चिन्हित किया गया है। इसमें 5 साल से कम आयु के बच्चे के माता-पिता एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्राथमिक लाभार्थी के रूप में होंगे । इन्हें सामुदायिक जागरूकता से जोड़ा जाएगा। वहीं जन-प्रतिनिधि, धार्मिक प्रमुख, स्थानीय प्रशासन, ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण कमिटी के सदस्य, स्वास्थ्य एवं आईसीडीएस के पदाधिकारी द्वितीय लाभार्थी के रूप में होंगे।

बच्चों में निमोनिया अचानक से एक-दो दिन में भी शुरु हो सकता है या फिर धीरे-धीरे कई दिनों में सामने आता है। कई बार यह पता लगाना मुश्किल होता है कि यह केवल अत्याधिक सर्दी-जुकाम ही है या कुछ और। खाँसी निमोनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है।

इन लक्ष्णों से निमोनिया की पहचान की जा सकती है- बुखार के साथ पसीना एवं कपकपी होना, अत्यधिक खाँसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना, सांस लेने में मोटी, सीटी जैसी आवाज आना। इसके अलावा होंठ एवं उंगलियों के नाख़ून नीले दिखाई देना तथा बच्चों में परेशानी एवं उत्तेजना का बढ़ जाना इसके लक्षण होते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here