याद होगा, एसीबी ने खनिज अधिकारी बंजारे के लाखों रुपये उसके घर से बरामद किये थे

बिलासपुर । बस्तर में माओवादियों को मदद पहुंचाने के आरोप में कांकेर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये बिलासपुर का निशांत जैन पहले भी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त रहा है। चार साल पहले तत्कालीन जिला खनिज अधिकारी की अवैध कमाई के 45 लाख रुपये उसके घर से एसीबी ने जब्त किया था।

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तीन जून 2016 को तत्कालीन जिला खनिज अधिकारी केके बंजारे के ठिकानों पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने कुछ पुख्ता जानकारी मिलने के बाद छापा मारा था। छापा मारने वाली टीम हैरान रह गई जब बंजारे और उनके परिजन के घरों से कोई भी दस्तावेज या फूटी कौड़ी नहीं मिली। एसीबी ने तहकीकात जारी रखी तब इसी निशांत जैन का नाम सामने आया। पुलिस ने करीब 40 दिन बाद उसके घर पर छापा मारा। उसके घर से 45 लाख रुपये नगद मिले। जैन ने कबूल किया कि यह राशि बंजारे ने उसे रखने के लिए दिये हैं। खनिज अफसर की ओर से नई राजधानी में खरीदे गये 19 प्लाट के कागजात भी एसीबी ने उसके पास से जब्त किये। जैन ने बताया कि बंजारे ने कुल 75 लाख रुपये उसके पास जमा कराये थे, बीच-बीच में कहीं-कहीं पर निवेश करने के नाम उसने रुपये वापस भी लिये। जब भी जरूरत पड़ती बंजारे, निशांत से रुपये लेता था। यह लेन-देन भी यहां से मिले कागजातों में दर्ज था। निशांत जैन ने अवैध कमाई को खपाने के लिए एक कागजी कम्पनी केबी ग्रुप भी बनाया था। इसमें बंजारे द्वारा निवेश की गई रकम का पूरा हिसाब था। यह सारा काम भी निशांत जैन देखा करता था। यहां तक कि निशांत जैन बंजारे की पत्नी के खाते में भी एक निश्चित रकम जमा करता था। बंजारे की एक कार भी निशांत के घर पर मिली थी।

ज्ञात कि सिद्ध शिखर, शांतिनगर बिलासपुर निवासी निशांत जैन को उसके अन्य सहयोगियों के साथ माओवादियों को जूता, रुपये, वर्दी के कपड़े, वायरलेस सेट, बिजली के तार आदि सामग्री पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जैन और उसके पार्टनर्स ने कांकेर जिले में सड़क निर्माण का ठेका ले रखा है।

मिली जानकारी के मुताबिक निशांत जैन सन् 2001 में आर के जैन की कम्पनी में मुंशी का काम करने के लिए पहुंचा था। कुछ स्थानीय ठेकेदारों की मदद से इसने जिला पंचायत और लोक निर्माण विभाग में अपनी पैठ बनाई और खुद भी ठेकेदारी शुरू कर दी। इसके बाद वह आरके जैन की फर्म से अलग हो गया। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत जिले के कई काम उसे मिलते गये। इसी तरह से लोक निर्माण विभाग के काम भी उसे हासिल हुए। इस बीच उसने राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कुछ लोगों से अच्छा सम्पर्क बना लिया। इसका फायदा व्यवसाय में भी मिला। उसने बिलासपुर के अलावा बस्तर के धुर नक्सल इलाकों में सड़क निर्माण का कार्य लेना शुरू किया। नक्सलियों को उनकी जरूरत के सामान भिजवाने के एवज में उसे उनसे अभयदान मिलता रहा।

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