बिलासपुर। जिले के 12 जोन आज कंटेनमेन्ट से मुक्त कर दिये गये। इन इलाकों में बीते 14 दिन से कोरोना का कोई नया केस नहीं मिला। अब यहां से बाहर निकलने और दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी गई है। गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के तीन संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद अब वहां कोई भी मरीज नहीं रह गया है।

इनमें बिलासपुर शहर के अटल बिहारी विश्वविद्यालय परिसर, बाजपेयी टावर, बिरकोना तथा कश्यप कॉलोनी शामिल हैं। सरकंडा में पाये गये कोरोना संक्रमित मरीजों की अवधि अभी 14 दिन पूरे नहीं हुए हैं इसलिये वहां कंटेनमेन्ट जारी है। इसके अलावा तखतपुर के ग्राम लिम्हा, ढनढन, करनकापा को बिल्हा के ग्राम सारधा, रहंगी, मुढ़ीपार को तथा मस्तूरी के मनवा, निमतरा और गतौरा को भी कंटेन्मेन्ट से मुक्त कर दिया गया है। जिले में अब तक कुल 104 कोरोना संक्रमित पाये जा चुके हैं, पर इनमें से सिर्फ 33 ठीक होकर डिस्चार्ज हुए हैं। एक नौ वर्ष की बालिका की कोरोना से मौत भी हो चुकी है। दूसरी तरफ मुंगेली में अब तक 106 कोरोना संक्रमित पाये गये हैं जिनमें से 56 ठीक हो चुके हैं और अब यहां 50 एक्टिव केस हैं। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में इस समय एक भी कोरोना संक्रमित नहीं है। यहां से तीन केस आये थे जिन्हें संभागीय कोविड अस्पताल बिलासपुर में भर्ती किया गया था। इन तीनों को कल शाम डिस्चार्ज कर दिया गया।

एक गांव पसान में 15 केस, 11 मरीज बिलासपुर अस्पताल लाये गये

पेन्ड्रा संवाददाता सुमित जालान के अनुसार कोरबा जिले के पसान ग्राम से अब तक 15 मरीज कोरोना संक्रमित पाये जा चुके हैं जो क्वारांटीन सेंटर ही नहीं बाहर से भी हैं। इनमें से 11 मरीजों को इलाज के लिए संभागीय कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पसान ग्राम से एक साथ इतने अधिक केस को लेकर पता चला कि शुरूआती मामले प्रवासी मजदूर के थे लेकिन इसके बाद स्थानीय लोगों विशेषकर व्यवसायियों में भी संक्रमण फैल गया है। बताया जा रहा है कि यहां क्वारांटीन सेंटर के प्रभारी की गैरहाजिरी के चलते मजदूर बाहर निकलकर गांव में घूमते रहे। यहां की दुकानों से उन्होंने खरीददारी भी की। उनके सम्पर्क में आने से स्थानीय ग्रामीण और व्यापारी संक्रमण के शिकार हो गये। एक संक्रमित के परिजन के अनुसार यहां के गर्ल्स स्कूल में 100 प्रवासी मजदूर ठहराये गये हैं। यहां जिन्हें क्वारांटीन के नियमों का पालन कराने की ड्यूटी दी गई थी वे नदारद रहते हैं। इसकी लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है।

 

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