बिलासपुर में अमर शैलेश के बीच फिर टक्कर, कोटा से अटल, बेलतरा से विजय लड़ेंगे

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करते हुए बिलासपुर के दोनों विधायकों की टिकट बरकरार रखी है। अटल श्रीवास्तव कोटा से चुनाव लड़ेंगे और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी बेलतरा शिफ्ट किए गए हैं। पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर आए दिलीप लहरिया को मस्तूरी सीट से फिर उतारा  गया है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से कांग्रेस में वापस लौटे सियाराम कौशिक का मुकाबला पूर्व वि​धानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से बिल्हा सीट पर होगा। पर जेसीसी से ही आए हुए संतोष कौशिक की उम्मीद पर पानी फिर गया है।
बिलासपुर संसदीय सीट और आसपास की सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की आज शाम घोषणा कर दी। बिलासपुर से एक बार फिर मौजूदा विधायक शैलेश पांडेय को मैदान में उतारा गया है। उनका सामना फिर पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल से ही होगा। लगातार चार बार जीतते आ रहे अग्रवाल को सन् 2018 के चुनाव में पांडेय ने 11हजार 221 मतों से हराया था। अग्रवाल के टिकट की घोषणा भाजपा की दूसरी सूची में 10 अक्टूबर को ही कर दी गई थी। विधायक शैलेश पांडेय के रिपीट होने की चर्चा पहले से थी, जो उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी माने जाते हैं। सन् 2018 के चुनाव में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र और आसपास की सीटों पर स्वर्गीय अजीत जोगी के प्रभाव के कारण कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा था लेकिन बिलासपुर विधानसभा सीट के प्रत्याशी बृजेश साहू को केवल 3 हजार 641 मत मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
बीते चुनाव में बिलासपुर सीट से वर्तमान में पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तथा नगर निगम पार्षद विजय केशरवानी की भी दावेदारी थी। इस बार इन दोनों को क्रमशः कोटा और बेलतरा सीट से टिकट दे दी गई है। कोटा विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी अटल श्रीवास्तव का मुकाबला भाजपा नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव से होगा। यहां से वर्तमान में जेसीसी (जे) विधायक डॉ. रेणु जोगी हैं। परंपरागत रूप से कोटा विधानसभा सीट कांग्रेस की रही है। यहां से आज तक भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई। जीसीसी (जे) ने अभी तक डॉ रेणु जोगी के दोबारा या किसी अन्य को लड़ाने की घोषणा नहीं की है।
इसी कोटा विधानसभा सीट से विजय केशरवानी चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। कुछ दिन पहले उन्होंने यहां पर अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए थे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत के करीबी माने जाने वाले केशरवानी को बेलतरा शिफ्ट किया गया है। इसका अधिकांश हिस्सा बिलासपुर शहर का ग्रामीण क्षेत्र है। यहीं के राजकिशोर नगर वार्ड से केशरवानी नगर निगम में पार्षद भी है। भाजपा ने त्रिकोणीय संघर्ष में सन् 2018 में यह सीट जीती थी। जिन पांच सीटों पर अभी तक भाजपा ने छत्तीसगढ़ में अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, उनमें बेलतरा शामिल है। भाजपा ने आसपास की कोटा और तखतपुर सीट से ठाकुर प्रत्याशियों को टिकट दे दी है इसलिए अटकलें लग रही है कि वर्तमान भाजपा विधायक रजनीश सिंह ठाकुर की टिकट खतरे में है। कांग्रेस प्रत्याशी के घोषित हो जाने के बाद अब भाजपा यहां से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। इस सीट पर पूर्व में ब्राह्मण प्रत्याशी जीत चुके हैं तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार काफी कम अंतर से परास्त हुए हैं। बेलतरा में पिछली बार त्रिकोणीय संघर्ष था। अब कांग्रेस में शामिल हो चुके जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के उम्मीदवार कांग्रेस की ही पृष्ठभूमि के अनिल टाह ने  38 हजार से अधिक वोट झटक लिए थे। कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र साहू को भाजपा उम्मीदवार रजनीश सिंह ने 6000 से अधिक मतों से हराया था।
सन् 2018 में बिलासपुर जिले की जिन दो सीटों पर कांग्रेस को जीत मिल पाई थी, उनमें दूसरी सीट तखतपुर थी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत व वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे के करीबी विधायक रश्मि सिंह यहां से फिर मैदान पर उतरेंगी। बीते चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के उम्मीदवार संतोष कौशिक की मजबूत स्थिति के कारण उन्हें कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा था। मुकाबला त्रिकोणीय था। दूसरे स्थान पर कौशिक थे जिन्हें रश्मि सिंह ने 2991 वोटो से हराया।  प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के कुछ समय बाद संतोष कौशिक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस बार चर्चा थी कि कौशिक को कांग्रेस की टिकट मिल सकती है, पर पार्टी ने दोबारा रश्मि सिंह पर भरोसा जताया है। हालांकि चर्चा उनके पति आशीष सिंह ठाकुर को दोबारा उतारने की भी थी, जो सन् 2013 में मामूली अंतर से हार गए थे। रश्मि सिंह के पिता स्वर्गीय रोहिणी कुमार बाजपेयी और ससुर बलराम सिंह ठाकुर इस सीट से विधायक रह चुके हैं। बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्षिता पांडे यहां से तीसरे नंबर पर थी और विजयी उम्मीदवार से उन्हें करीब 7000 वोट कम मिले थे। हर्षिता पांडे के पिता स्वर्गीय मनहरण लाल पांडे भी तखतपुर से विधायक रहे हैं। इस बार हर्षिता की जगह भाजपा ने धर्मजीत सिंह ठाकुर को टिकट दी है। धर्मजीत सिंह वर्षों तक कांग्रेस में रहे और लगातार विधायक बने। वे सन् 2018 के चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से लोरमी से विधायक बने । कुछ समय पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। इसकी चर्चा पहले से ही थी कि भाजपा में शामिल होते ही उन्हें तखतपुर से चुनाव लड़ाया जाएगा। इस तरह से तखतपुर में कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही प्रत्याशी ठाकुर हैं। डॉ रश्मि का अपने पिता पूर्व विधायक स्व. रोहिणी बाजपेयी की वजह से ब्राह्मण समाज में भी पकड़ है। कांग्रेस के अनेक लोग यहां से संतोष कौशिक को प्रत्याशी के रूप में देखना चाहते थे। यदि किसी तीसरे दल ने अन्य पिछड़ा वर्ग से प्रत्याशी खड़ा तो किया तो बीते चुनाव की तरह यहां फिर से त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में सियाराम कौशिक को कांग्रेस ने टिकट दी है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के गठन के बाद सियाराम कौशिक स्व. अजीत जोगी के साथ चले गए थे। यह चुनाव धरमलाल कौशिक ने रिकॉर्ड 26500 वोटों के अंतर से जीता था। सियाराम कौशिक मैदान में थे और उन्होंने 29 हजार से अधिक वोट हासिल किए। भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला जो अब बिलासपुर कृषि मंडी के अध्यक्ष हैं, उन्होंने 58 हजार से कुछ कम वोट प्राप्त किए।  इस भारी अंतर को लेकर कांग्रेस के ही लोगों के बीच चर्चा थी कि कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सक्रियता नहीं दिखाई। इस बार उन्हें दोबारा टिकट देने की कोई चर्चा भी नहीं हो रही थी। धरमलाल कौशिक और सियाराम कौशिक क्रमशः भाजपा और कांग्रेस से परंपरागत प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से यह मध्य प्रदेश के जमाने में स्वर्गीय चित्रकान्त जायसवाल का इलाका रहा जिन्होंने लगातार 6 बार यहां से जीत हासिल की थी। वे मध्यप्रदेश की सरकारों में कद्दावर मंत्री रहे। उसके बाद दो चुनाव स्वर्गीय अशोक राव ने जीते। राव ने एक बार जनता दल और एक बार कांग्रेस से चुनाव जीता। जायसवाल ने कांग्रेस से हर बार जीत हासिल की। अगली पीढ़ी के उम्मीदवारों में सियाराम कौशिक और धरमलाल कौशिक मुकाबले पर रहे। धरमलाल कौशिक तीन बार तो दो बार सियाराम कौशिक यहां से चुनाव जीत चुके हैं। एक बार फिर वे आमने-सामने हैं। कुछ महीने पहले कांग्रेस ने यह बयान दिया था कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से आए हुए किसी भी नेता को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। सियाराम कौशिक के मामले में शिथिलता बरती गई है। चर्चा उनके परिवार के किसी सदस्य को लड़ाने की भी इस बीच चली थी। बीते चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के जसबीर सिंह चावला ने भी काफी मेहनत की थी लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी और उन्हें सिर्फ 4400 वोट मिले। उससे अधिक निर्दलीय उम्मीदवार मनोज ठाकुर ने वोट हासिल कर लिए थे। बीते 4-5 सालों से लगातार इलाके में सक्रिय चावला फिर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, हालांकि पार्टी ने अभी टिकट की अधिकृत तौर पर घोषणा नहीं की है। यहां कोई त्रिकोणीय संघर्ष होगा या नहीं बाकी उम्मीदवारों के नाम आने पर साफ हो पाएगा।
मस्तूरी में कांग्रेस ने पूर्व विधायक दिलीप लहरिया को दोबारा टिकट दी है। लोक गायक रहते राजनीति में आए तब संसाधन विहीन रहे लहरिया को स्वर्गीय अजीत जोगी ने 2013 में कांग्रेस टिकट दिलाई थी। भाजपा सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ कृष्णमूर्ति बांधी को उन्होंने हराया। डॉ बांधी इस दौरान मंत्रिमंडल से हटाए जा चुके थे और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष थे। लहरिया सन् 2018 के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष में फंसकर चुनाव हार गए। डॉक्टर बांधी फिर से विधायक चुन लिए गए। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने यहां पर बहुजन समाज पार्टी को समर्थन दिया था, जिसने कांग्रेस के वोटों पर सेंध लगा दी। लहरिया यहां पर 53 हजार 600 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे, जबकि उनसे अधिक 53 हजार 800 वोट बसपा के जयेंद्र सिंह पाटले को मिले। डॉ बांधी यहां से 14000 से ज्यादा मतों से जीते। भारी अंतर से हुई हार के बावजूद लहरिया को फिर से टिकट दी गई है, हालांकि यहां से कुछ पंचायत पदाधिकारी भी दावेदार थे। लहरिया को टिकट देने की एक वजह मानी जा रही है कि उन्होंने राजनीति में प्रवेश स्वर्गीय अजीत जोगी की बदौलत किया था लेकिन जब उन्होंने नई पार्टी बनाई तो कांग्रेस का साथ दिया। यह मामला ठीक सरगुजा जिले के सीतापुर के विधायक और मंत्री अमरजीत भगत की तरह है। लहरिया यदि दोबारा जीत गए होते तो छत्तीसगढ़ सरकार में कांग्रेस उसे ठीक जगह पर बिठा सकती थी। याद करें कि बिलासपुर जिले से कांग्रेस के दोनों विधायकों को मंत्रिमंडल में इसीलिए जगह नहीं मिली थी क्योंकि वे पहली बार चुनकर पहुंचे थे, जबकि लहरिया जीत जाते तो वे दूसरी बार के विधायक होते। सन् 2018 में बसपा को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का समर्थन था। इस बार बसपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किया गया है।
बिलासपुर संसदीय सीट के लोरमी विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और बिलासपुर सांसद अरुण साव मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से थानेश्वर साहू को टिकट दी है जो बाहरी प्रत्याशी कहे जा सकते हैं। उनका मूल निवास बेमेतरा है। पिछले कुछ महीनो से वे अपनी टिकट को लेकर आश्वस्त थे। उन्होंने लोरमी में एक किराए का मकान ले रखा है। सन् 2018 में यह सीट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के धर्मजीत सिंह ठाकुर के पास आई थी जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और तखतपुर से भाजपा प्रत्याशी हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव का गांव लोरमी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही है और इसी सीट के मुंगेली जिले के निवासी हैं। जीत पुख्ता करने के लिए साव को मैदान में उतारा गया है, मगर कांग्रेस ने दूसरे जिले के एक ऐसे उम्मीदवार को टिकट दी है जो पहले यहां संपर्क में नहीं रहे। उम्मीदवार थानेश्वर साहू को गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ताम्रध्वज साहू का नजदीकी बताया जा रहा है। लोरमी क्षेत्र में साहू वोटों का अच्छा असर बीते चुनावों में देखा गया है। भाजपा के साहू उम्मीदवार के मुकाबले कांग्रेस ने साहू उम्मीदवार खड़ा करके वोटों के विभाजन की कोशिश की है। पिछली बार यहां से कांग्रेस टिकट पर शत्रुघन चंद्राकर ने चुनाव लड़ा था, जिनकी पत्नी लेखनी चंद्राकर अभी जिला पंचायत मुंगेली की अध्यक्ष हैं। कांग्रेस प्रत्याशी की यहां बुरी हार हुई थी। विजयी धर्मजीत सिंह ठाकुर के 67700 वोटो के मुकाबले में उसे सिर्फ 16600 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर तब के संसदीय सचिव भाजपा प्रत्याशी तोखन राम साहू ने 42 हजार से कुछ अधिक वोट हासिल किए थे। यह देखना होगा कि उपरोक्त स्थिति में कांग्रेस उम्मीदवार सन् 2018 की खाई कितना पाट सकते हैं। यह देखा गया है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता मनीष त्रिपाठी ने पिछले चुनाव में धर्मजीत सिंह ठाकुर की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने यहां से अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। यदि त्रिपाठी मैदान में उतरते हैं तो पिछली बार की तरह यहां से फिर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
बिलासपुर संसदीय सीट के ही मुंगेली विधानसभा क्षेत्र से सन् 2008 से बीजेपी के पुन्नूलाल मोहले लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। हर बार उन्होंने कांग्रेस के अलग-अलग प्रत्याशियों को हराया है और अब चौथी बार मैदान में हैं। इस बार फिर कांग्रेस ने एक नया उम्मीदवार जिला पंचायत के उपाध्यक्ष संदीप बनर्जी को उतारा है। एनजीओ से जुड़ा युवा चेहरा होने के नाते कांग्रेस की स्थिति यहां पर सुधर सकती है। पर यह तथ्य ध्यान में रखना होगा कि मोहले ने करीब 40 साल पहले अपना पहला चुनाव हारने के बाद अब तक हमेशा जीत हासिल की है। वे अब तक कुल पांच बार विधायक और चार बार सांसद रह चुके हैं। पिछली बार उन्होंने मुंगेली का चुनाव करीब 9 हजार वोटों से जीता था।

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