सीबीआई ने दो साल पहले ही मर्डर की फाइल क्लोज कर दी है, इसके खिलाफ़ हाईकोर्ट में लम्बित है पत्रकारों की याचिका

पत्रकार सुशील पाठक हत्याकांड की जांच के दौरान रिश्वत लेने के मामले में आरोपी बनाए गए एडिशनल एसपी डीके राय, एएसआई लक्ष्मी नारायण शर्मा और प्राइवेट जासूस तपन गोस्वामी को सीवीआई ने बरी कर दिया है। मालूम हो कि पाठक के हत्यारों का आज तक पता नहीं चल पाया है इस मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि सीबीआई के इस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में पत्रकारों की याचिका लम्बित है।

पत्रकार सुशील पाठक की हत्या 19 दिसम्बर 2010 को देर रात घर लौटते समय सरकंडा निवास पर कर दी गई थी। स्थानीय पुलिस ने उस समय संदिग्ध रूप से घटनास्थल से कई सबूतों को नष्ट कर दिया था। पत्रकारों के आक्रोश के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घटना के दो माह बाद ही इसकी सीबीआई जांच की घोषणा की थी। सीबीआई ने जांच 2011 के सितंबर माह में शुरू की। इसके लिए सर्किट हाउस में कैम्प बनाया गया था। कई साल तक की जांच, सैकड़ों लोगों से पूछताछ के बाद सीबीआई किसी नतीजे में नहीं पहुंची। इस जांच के नाम पर भयादोहन भी हुआ। इसी दौरान जांचकर्ता अधिकारी सीबीआई के एडिशनल एसपी डीके राय, कांस्टेबल लक्ष्मी नारायण व प्राइवेट जासूस तपन गोस्वामी के खिलाफ सन् 2012 में रामबहादुकर नागर नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उसका नाम केस से हटाने के लिए ये तीनों उनसे दो लाख रुपए रिश्वत मांग रहे हैं। तब सीबीआई के भिलाई कार्यालय के अधिकारियों ने छापा मारकर एक लाख रुपए जब्त किए थे। पहले एएसआई शर्मा और गोस्वामी को फिर एडिशनल एसपी राय को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था।

रायपुर की सीबीआई कोर्ट ने आज इन तीनों को दोषमुक्त करार दिया है।

दूसरी तरफ सुशील पाठक हत्याकांड की जांच आठ साल बाद भी अधूरी है। सीबीआई ने इस मामले में 6 साल बाद सन् 2016 में क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। जांच बंद करने के विरुद्ध बिलासपुर प्रेस क्लब और पत्रकार सुशील पाठक की पत्नी संगीता पाठक की ओर से बिलासपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें क्लोजर रिपोर्ट को समाप्त करने तथा एसआईटी से मामले की जांच कराने की मांग है। यह मामला दो साल से कोर्ट में अंतिम सुनवाई के लिए लम्बित है।

 

 

 

 

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