ड्रग इंस्पेक्टर ने की थी शिकायत, जिसे विधानसभा में मामला उठने के बाद किया गया था सस्पेंड

बिलासपुर। तखतपुर के सकरी में लगाए गए नसबंदी शिविर के बाद 13 महिलाओं की मौत हो जाने के 8 साल पुराने मामले की एक बार फिर जांच शुरू की गई है।

इस मामले में निलंबित किए गए एक औषधि निरीक्षक धर्मवीर सिंह ध्रुव ने राष्ट्रपति से शिकायत की थी कि उन्हें इस कांड में जबरन फंसाया गया, जबकि उनकी पदस्थापना यहां पर इस प्रकरण के बाद हुई थी।

तखतपुर ब्लॉक के सकरी ग्राम के एक बंद पड़े निजी अस्पताल में 8 नवंबर 2014 को नसबंदी शिविर लगाया गया था, जिसमें सिप्रोसीन दवा खाने के बाद 13 महिलाओं की मौत हो गई थी।

राष्ट्रपति भवन में की गई शिकायत में औषधि निरीक्षक ने कहा था कि 8 नवंबर 2014 को नसबंदी कांड हुआ था जबकि उनकी जॉइनिंग 2015 की थी। प्रकरण के बाद औषधि निरीक्षक प्रीतम ओगरे मामले की जांच कर रहे थे लेकिन उन्होंने सिप्रोसीन दवा की दोबारा जांच नहीं कराई। उन्होंने 2 साल तक प्रकरण उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत नहीं किया। इसके बाद उनका प्रमोशन हो गया। इसके बाद पदस्थ हुए औषधि निरीक्षक राजेश क्षत्री ने भी मामले को लटका रखा था। शिकायत में धर्मवीर सिंह ध्रुव ने कहा कि उनके हाथ में 27 फरवरी 2016 को यह प्रकरण विवेचना के लिए मिला था और उन्होंने 5 माह के भीतर 11 जुलाई को औषधि नियंत्रण अधिकारी नया रायपुर को कार्रवाई के लिए प्रकरण भेज दिया था। प्रकरण भेजने के बाद मुख्यालय में 2 साल लग गए उसके बाद 5 फरवरी 2018 को प्रकरण न्यायालय की कार्रवाई के लिए स्वीकृत दी गई।

सिप्रोसिन दवा बनाने वाली कंपनी महावर फार्मा के संचालक रमेश महावर दवा विक्रेता कविता लेबोरेटरी के संचालक राकेश खरे व राजेश खरे के खिलाफ कार्रवाई की गई लेकिन कोर्ट में यह मामला करीब 6 साल बाद पेश किया गया। इस पर विधानसभा में भी सवाल उठाया गया, तब शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए औषधि निरीक्षक राजेश खत्री के साथ-साथ धर्मवीर सिंह ध्रुव को भी सस्पेंड कर दिया। इसी बात की शिकायत उन्होंने राष्ट्रपति से की थी। अब राष्ट्रपति भवन से स्वास्थ्य विभाग को कलेक्टर के माध्यम से पत्र भेजकर प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। स्वास्थ विभाग ने औषधि निरीक्षक धर्मवीर सिंह और अन्य अधिकारियों का बयान देना शुरू कर दिया है।

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