बिलासपुर। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी ने चुनाव आयोग से मरवाही के केन्द्रीय पर्यवेक्षक जयसिंह के खिलाफ शिकायत की है। उन्होंने ‘न्याय यात्रा’ को संगठित अपराध कहे जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है और सवाल उठाया है कि एक मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल को चुनाव प्रचार से कैसे रोका जा सकता है।
पत्र में उन्होंने कहा कि
चुनाव पर्यवेक्षक आईएएस जय सिंह का आचरण न केवल संदिग्ध है बल्कि संविधान और कानून के समस्त प्रावधानों के विपरीत भी है। इतिहास में पहली बार निर्वाचन आयोग द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त दल को चुनाव प्रचार में भाग लेने से मात्र इस कारण से रोका जा रहा है कि उसके प्रत्याशियों का नामांकन बंद कमरे में, बिना सुनवाई का अवसर दिए रद्द कर दिया गया।

भारत के संविधान और क़ानून में कहीं पर भी ऐसा नहीं लिखा है कि राजनीतिक दलों का प्रचार करने के लिए उसके प्रत्याशी का होना अनिवार्य है। जय सिंह द्वारा छजकां नेताओं और विधायकों की ‘न्याय यात्रा’ को ‘संगठित अपराध’ की श्रेणी में कहा गया। चुनाव पर्यवेक्षक जय सिंह सीधे-सीधे भूपेश बघेल सरकार के प्रभाव में उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं। मरवाही के मतदाताओं की नज़र में छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री और कांग्रेस के चुनाव प्रभारी जय सिंह अग्रवाल और निर्वाचन आयुक्त द्वारा नियुक्त चुनाव पर्यवेक्षक जय सिंह के बीच अब कोई भी अंतर नहीं दिख रहा है।

उनके इशारे पर मेरी मां और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की एकमात्र विधायक रेणु जोगी, जो स्वयं एक डॉक्टर हैं, को कोरोना के बहाने अपने ही क्षेत्र की जनता से मिलने से रोकने का आदेश है। क्या जय सिंह को यह लगता है कि यहां हजारों कांग्रेसी कोरोना का वैक्सीन लगाकर आये हैं और केवल मेरे दल के द्वारा क्षेत्रवासियों के मिलने मात्र से ही कोरोना फैलेगा? प्रतिबंध लगाना है तो बाकी दलों पर क्यों नहीं?
आयोग से उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक जयसिंह के रहते मरवाही में निष्पक्ष चुनाव असंभव है। अतः तत्काल कार्रवाई करते हुए आयोग उचित निर्देश दे।

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