रायपुर। जाने-माने साहित्यकार, लेखक कवि और पत्रकार परितोष चक्रवर्ती का आज सुबह 5:30 बजे रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर में निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा सी 401, अशोका रत्न खम्हारडीह से देवेंद्र नगर मुक्तिधाम के लिए दोपहर 3:00 बजे निकलेगी।

चक्रवर्ती एसईसीएल बिलासपुर से जनसंपर्क अधिकारी पद से त्यागपत्र देने के बाद रायपुर में रहते थे। वे पिछले एक माह से कैंसर से जूझ रहे थे। 5 मार्च को उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था।

चक्रवर्ती का जन्म छत्तीसगढ़ के सक्ती में 7 अप्रैल 1951 को हुआ था। उन्होंने लंबे समय तक विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में रिपोर्टर से लेकर संपादक तक पदों पर काम किया। इस बीच उन्होंने कुछ सरकारी नौकरियों की लेकिन बाद में छोड़ दिया। बाद में बिलासपुर में एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त किए गए। त्यागपत्र देकर वे साहित्य में समय देने के लिए रायपुर चले गये थे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली से लोकायत पत्रिका निकाली। उन्होंने नई सदी साहित्यिक पत्रिका का भी संपादन किय। रायपुर में उन्होंने जनसत्ता के संस्करण के संपादक पद का दायित्व भी संभाला।

उनकी मूल पहचान एक साहित्यकार के रूप में थी। कहानी संग्रह घर बुनते हुए, कोई नाम दो, सड़क नंबर 30, अंधेरा समुद्र और व्यंग्य संग्रह आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा तथा फक्कड़ नामा, लघु उपन्यास अभिशप्त दांपत्य और नाटक मुखौटे से उन्हें लोकप्रियता मिली। उन्होंने नक्सलवाद पर भी किताब लिखी हैं। कहानी संग्रह घर बुनते हुए में उनकी एक कहानी जड़ प्रकाशित हुई थी। इस कहानी पर बधाई हो नाम की एक सुपरहिट फिल्म बनी। चक्रवर्ती ने रायपुर के पंडरी थाने में फिल्म के निर्माता और लेखक के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी कि उनकी कहानी की चोरी कर ली गई है।

चक्रवर्ती को सन 1999 में मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन में वागेश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किया था। छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मेलन ले सन 2000 में स्वर्गीय प्रमोद वर्मा पुरस्कार दिया। सन 2001 में उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य भाषा प्रचार समिति सम्मान से सम्मानित किया गया और इसी वर्ष अखिल भारतीय दैनिक भास्कर कहानी लेखन प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया गया।

बीते 5 मार्च से वे कैंसर के इलाज के लिये रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराए गये थे। चक्रवर्ती के निधन से छत्तीसगढ़ के साहित्य व पत्रकारिता जगत में शोक व्याप्त है।

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