बिलासपुर। दो महिला पटवारियों ने अपने नियम विरुद्ध स्थानांतरण के मामले में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश की अवहेलना करने को लेकर अवमानना याचिका दायर की है। इनमें से एक पटवारी ने बिन्दुवार ब्यौरा देते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है और एसडीएम को निलम्बित कर उनके विरुद्ध जांच करने की मांग की है।
मस्तूरी की एसडीएम मोनिका वर्मा ने 4 नवंबर 2019 को एक स्थानांतरण आदेश जारी कर पटवारी अनुरंजना एक्का और वैशाली पांडेय को दूसरे हल्के में जाने का आदेश दे दिया था। उस समय नगरीय निकाय चुनाव के कारण आदर्श आचरण संहिता लागू थी। तबादला आदेश की कॉपी दोनों पटवारियों को नहीं दी गई। इसके बाद 9 दिसम्बर को एसडीएम के कार्यालय से उन्हें निलम्बन आदेश जारी कर दिया गया। 13 दिसम्बर को इस आदेश के विरुद्ध दोनों पटवारियों ने उनके समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। इस पर कार्रवाई करने के बजाय बिना किसी पूर्व सूचना के पटवारी कार्यालयों का ताला तोड़कर एसडीएम ने दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया और उन्हें निलम्बित कर दिया गया। आवेदकों का कहना था कि स्थानांतरण आदेश दुर्भावनापूर्व चुनाव के समय प्रतिबंध होने के बावजूद जारी किया गया। इसके अलावा निलम्बन का अधिकार एसडीएम को नहीं कलेक्टर को है। इस कार्रवाई के खिलाफ महिला पटवारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस गौतम भादुड़ी की कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद एसडीएम को आदेश जारी किया कि इनके अभ्यावेदन पर 45 दिन के भीतर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय लिया जाये। कोर्ट के आदेश के बाद निलम्बन तो समाप्त कर दिया गया लेकिन स्थानांतरण आदेश को यथावत रखा गया है। इसके विरुद्ध दोनों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। इसे सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया गया है।
दूसरी ओर इनमें से एक याचिकाकर्ता अनुरंजना एक्का ने 10 पन्नों की एक विस्तृत शिकायत सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव से भी की है जिसमंन कहा गया है कि अपने चहेते पटवारियों से काम लेने के लिये एसडीएम भ्रष्ट तरीके अपना रही हैं वे सिविल सेवा आचरण के विपरीत कार्य कर रही हैं। इसके लिये उन्हें निलम्बित कर विभागीय जांच की जाये।

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