सवाल, लॉकडाउन में छूट के दौरान पुलिस वीआईपी इलाके में तैनात क्यों नहीं थी?

बिलासपुर। कांग्रेस विधायक शैलेष पांडेय के खिलाफ लॉकडाउन और महामारी अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में सिविल लाइन थाने में अपराध दर्ज किया गया है। जरूरतमंदों ने आज सुबह मुफ्त राशन के लिए विधायक के कार्यालय में भीड़ लगा ली थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। पांडेय ने पुलिस की कार्रवाई को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि उन्हें एक विधायक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका गया है। वे विधानसभा में कलेक्टर व एसपी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लायेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एफआईआर दर्ज होने पर हैरानी जताते हुए विधायक से कहा है कि वे इस मामले को देख रहे हैं।


कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये जारी लॉकडाउन के कारण अनेक गरीब परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे जरूरतमंदों के लिए विधायक पांडेय ने अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक करते हुए कहा था कि जिनके लिए भी भोजन और राशन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है वे सीधे उनसे सम्पर्क कर सकते हैं। पिछले एक सप्ताह से वे अपने कार्यालय में जरूरतमंदों को राशन बांट रहे हैं। हर दिन सौ डेढ़ सौ लोग उनके घर पहुंच रहे हैं, जिन्हें वे राशन का पैकेट उपलब्ध करा रहे हैं। इस पैकेट में चावल, दाल, शक्कर, सब्जी, मसाले इत्यादि हैं। रविवार की सुबह जब वे निवास से पहुंचे तो कार्यालय के बाहर पांच सौ से ज्यादा लोग एकत्र थे।

पांडेय ने बताया कि भीड़ देखकर उन्होंने खुद ही पुलिस अधिकारियों को फोन किया और कहा कि यहां लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है। इसके बाद पुलिस पहुंची। उन्होंने खुद माइक लेकर लोगों से अपील की कि वे यहां भीड़ न लगाएं इससे लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है। वार्ड पार्षदों और कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनके घरों तक राशन भेजा जायेगा आप उनके पास सम्पर्क कर लें। विधायक की ओर से इस बारे में एक वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें वे लोगों से भीड़ नहीं लगाकर कानून तथा सुरक्षा मानकों का पालन करने की अपील कर रहे हैं।

इसके कुछ घंटे बाद पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। सिविल लाइन के थाना प्रभारी परिवेश तिवारी ने बताया कि विधायक के कहने पर उनके कार्यालय के सामने भीड़ पहुंची थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 तथा 269 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

विशेषाधिकार का मामला लायेंगे विधानसभा में

विधायक शैलेष पांडेय ने पुलिस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे प्रायोजित बताया है और कहा है कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसके प्रायोजक कौन हैं। एक विधायक के रूप में उन्हें काम करने से रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस ने दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की है। एक विधायक के रूप में उन्हें अपने दायित्व का निर्वहन करने से रोकने के लिए यह भयभीत करने का प्रयास है। वे इस मामले को पूरी तरह से कानूनी तरीके से निपटेंगे। विधानसभा के अगले सत्र में वे कलेक्टर व एसपी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लायेंगे। पांडेय ने कहा कि मेरा कार्यालय अति संवेदनशील इलाके में हैं जहां जज, महाधिवक्ता, महापौर, पूर्व मुख्यमंत्री आदि के निवास हैं। लॉकडाउन में ढील की अवधि की घटना होने के बावजूद यहां कोई पुलिस बल तैनात नहीं था। मैंने दफ्तर पहुंचते ही भीड़ देखी और खुद ही तुरंत पुलिस को सूचना दी। हर रोज सौ डेढ़ सौ लोग यहां होते हैं। आज पांच सौ से ज्यादा लोग आए थे, या फिर भेजे गये थे। किस दबाव में पुलिस ने अपराध दर्ज किया है यह उन्हें पता नहीं है।

पांडेय ने कहा कि एक विधायक होने के नाते उनके पास बीमारी, राशन जैसी निजी समस्याओं के लिए लोग आते हैं। यहां आने वालों को व्यवस्थित करने या हटाने का दायित्व पुलिस का है। वे लगातार राशन बांट रहे हैं जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। उन्होंने इसके लिए परिसर में चूने का घेरा भी बनाकर रखा हुआ है। पुलिस कानून व्यवस्था बनाने के कारण लगातार लोगों से दुर्व्यवहार कर रही है लोगों को लाठियों से पीट रही है। ऐसे में यदि वे किसी एफआईआर से घबराकर अपना दायित्व नहीं छोड़ेंगे। लोगों की मदद करने का काम जारी रहेगा।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा-मामले को देखूंगा

विधायक पांडेय ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने की सूचना मिलने के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें स्वयं फोन करके घटना की जानकारी ली है। बघेल ने पूरी बात सुनने के बाद कहा है कि वे इस मामले को देख रहे हैं।

 

 

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