बिलासपुर। पत्रकार सुरक्षा कानून का मसौदा तैयार करने के लिए गठित कमेटी द्वारा बिलासपुर के पत्रकारों की उपेक्षा को लेकर बिलासपुर प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री से शिकायत की है।

इसे लेकर 13 नवंबर को बिलासपुर प्रेस क्लब में बैठक रखी गई, जिसमें बड़ी संख्या में सदस्य शामिल हुए। इसके पश्चात् मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह कमेटी पत्रकारों से चर्चा कर रिपोर्ट और सुझाव सरकार को देगी। उक्त कमेटी ने बिलासपुर को कोई तवज्जो नहीं दी है। कमेटी बस्तर, रायपुर और सरगुजा का दौरा करेगी लेकिन बिलासपुर इसमें शामिल नहीं है।

पत्र में कहा गया है कि राजधानी रायपुर के बाद बिलासपुर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर और पुराना संभागीय मुख्यालय है। पत्रकारों पर बिलासपुर में भी हमले होते रहे हैं। वर्ष 2011 में बिलासपुर प्रेस क्लब के तत्कालीन सचिव सुशील पाठक की हत्या हुई थी जिसके आरोपी आज तक नहीं पकड़े जा सके हैं। बिलासपुर में छत्तीसगढ़ का हाईकोर्ट, रेलवे जोन, एनटीपीसी सीपत समेत कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम हैं। रिपोर्टिंग के दौरान यहां पत्रकारों की जान जोखिम में रहती है इसलिये पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी कमेटी को बिलासपुर भी आना चाहिए।

बिलासपुर प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे बिलासपुर के पत्रकार तथा यहां की पत्रकारिता से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसलिये वे सुनिश्चित करें कि कमेटी के दौरे में बिलासपुर को भी शामिल किया जाये।

इस विषय पर बुलाई गई बैठक में अध्यक्ष तिलकराज सलूजा, सचिव वीरेन्द्र गहवई, पूर्व अध्यक्ष कैलाश अवस्थी, निर्मल माणिक सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।

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