बिलासपुर। सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) के तत्वावधान में शुक्रवार को आईईसी, बीसीसी नोडल अधिकारियों के लिये स्वास्थ्य संचार पर एक कार्यशाला रखी गई, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचार-प्रसार की बारीकियों से अवगत कराया गया। विभिन्न माध्यमों के जरिए नोडल अधिकारियों को यह भी बताया गया कि वह किस तरह अपने कार्यों का बेहतर प्रचार कर सकते हैं।

समूह चर्चा के माध्यम से जानकारी दी गई की योजनाओं की सूचना और उसका संचार किस तरह लोगों को उपलब्ध हो। इसमें हमारा नजरिया क्या होना चाहिये। सकारात्मक पहलू कौन से हैं। मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के सकारात्मक संदेश कैसे सामने लाएं। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन एवं लघु फिल्मों के माध्यम से भी इसकी जानकारी दी गई।

स्वास्थ्य संयुक्त संचालक तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मधुलिका सिंह ठाकुर भी इस कार्यक्रम में कुछ देर के लिए पहुंची। मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र सेंदरी के अधीक्षक डॉ. बी. आर नंदा ने कहा कि व्यवहार परिवर्तन के लिए यह उपयोगी कार्यशाला है। हम अपने पत्रकार साथियों को सही समाचार नहीं देंगे तो भ्रामक समाचार ही प्रकाशित होंगे।

एनएचएम के डॉ अरुण कुमार दुबे ने बताया कि व्यवहार में बदलाव के लिए तीन जानना, मानना और अपनाना आवश्यक है। हमें अपने ज्ञान को बढ़ाना है और खुद को अपडेट भी करना है। एसईसीएल के सीनियर मैनेजर चंद्र कुमार पाठक ने भी बताया कि वह सीएफएआर से मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं ताकि वह जागरूक हो सकें ।

कार्यशाला में प्रतिभागियों को बताया गया कि रिपोर्ट राइटिंग, स्वास्थ्य संचार की सकारात्मक पहलुओं को प्रस्तुत किया जाए जिससे नकारात्मक और भ्रामक समाचार न आए। सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार (एसबीसीसी) के पहलुओं और माध्यओं पर भी प्रतिभागियों की समझ को विकसित किया गया। कार्यशाला में बिलासपुर और कोरबा जिले के आईईसी बीसीसी के नोडल अधिकारी मौजूद थे।

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