बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मेडिकल एडमिशन के लिए मॉप अप राउण्ड को फिर से आयोजित करने का आदेश दिया है। इसमें याचिकाकर्ता छात्रा और एक अन्य याचिकाकर्ता छात्र को रिक्त पदों पर मेरिट के आधार पर एडमिशन देने के लिए भी कहा है। छात्रा के मामले की प्रारंभिक सुनवाई कोर्ट ने छुट्टी के दौरान रविवार को की थी।

उल्लेखनीय है कि छात्रा राधिका मंगतानी की याचिका पर रविवार को हाईकोर्ट में अर्जेंट सुनवाई हुई थी। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने 4 अप्रैल को तीसरा राउंड (माप अप राउण्ड) को स्थगित करने का आदेश दिया था। छात्रा ने याचिका में बताया था कि उसकी रैंक 915 है। पहले राउंड की काउंसलिंग में उसका नाम प्रवेश सूची में शामिल नहीं हो सका। कुछ व्यक्तिगत कारणों से वह दूसरे राउंड की काउंसलिंग में वह शामिल नहीं हो पाई। पर तीसरे राउंड की कौंसिलिंग में उसे नहीं बुलाया गया है जबकि इसके पहले के राउंड में उससे कम अंक पाने वालों का नाम प्रवेश सूची में शामिल है। हाईकोर्ट ने स्थगन देते हुए याचिका पर सोमवार को आगे सुनवाई की। याचिकाकर्ता छात्रा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि तकनीकी कारण से कोई छात्र किसी राउंड में शामिल नहीं हो पाता है तब भी उसकी मेरिट के आधार पर प्रवेश की पात्रता बनी रहती है। हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस एन के चंद्रवंशी की बेंच ने याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमति जताते हुए छात्रा को काउंसलिंग में शामिल करने तथा मेरिट के आधार पर प्रवेश देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने एक छात्र मयंक कुमार पांडेय की याचिका पर भी सुनवाई की। छात्र ने बताया कि पहले राउंड की काउंसिलिंग में उसका नाम नहीं आ सका। तब उसने दूसरे राउंड की काउंसलिंग की सूची की प्रतीक्षा की। दूसरे राउंड की सूची में नाम नहीं था, जिसके कारण वह काउंसलिंग में शामिल नहीं हुआ। उसे बाद में मालूम हुआ कि दूसरे राउंड की संशोधित एक अन्य सूची काउंसलिंग से पहले देर शाम को जारी की गई थी, जिसकी उसे जानकारी नहीं मिल पाई थी। इसके बाद तीसरे राउंड में उन्हें मेरिट के आधार पर काउंसलिंग का अवसर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने उक्त छात्र को भी काउंसलिंग में शामिल कर मेरिट के आधार पर प्रवेश देने का आदेश दिया है।

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