बिलासपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल के सदस्य अशोक कुमार तिवारी ने स्टेट बार कौंसिल द्वारा महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को भेजे गये कारण बताओ नोटिस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि सचिव को किसी भी प्रकार से कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने अध्यक्ष से मांग की है कि इस मामले में पूर्व में स्थापित मान्य मापदंडों और विधि के अनुसार कार्रवाई हो अन्यथा इस नोटिस को निरस्त किया जाये।

तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिंल (राज्य् विधिज्ञ परिषद्) का कार्यकाल एक फरवरी को समाप्त हो गया है पर 6 माह का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति भारतीय विधिज्ञ परिषद् ने दी है। इस बीच चुनाव कराने का निर्देश भी दिया गया है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद गठित छत्तीसगढ़ विधिज्ञ परिषद् की सामान्य सभा की बैठक में संकल्प लिया गया था कि किसी भी अधिवक्ता की शिकायत आने पर तत्काल कारण बताओ नोटिस जारी नहीं की जायेगी बल्कि स्क्रीनिंग कमेटी और अनुशासन समिति के समक्ष शिकायत की सत्यता के परीक्षण के बाद ही आगे कोई कार्रवाई होगी। महाधिवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पर आसीन अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को सचिव द्वारा प्रक्रिया को अपनाये बिना ही नोटिस दी गई है जिसका उन्हें अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया में भी इसकी व्यापक रूप से जानकारी दी, जबकि पहले कभी अधिवक्ताओं को नोटिस जारी करने अनुशासन की कार्रवाई पर विचार करने पर ऐसा नहीं किया गया। तिवारी ने अपने ज्ञापन में तिवारी ने कहा कि इस कार्रवाई में मेरी तथा 25 सदस्यों वाली परिषद् के कई अन्य सदस्यों की इस अनियमित कार्रवाई में कोई सहमति या स्वीकृति नहीं है। परिषद् एक संवैधानिक संस्था है। अध्यक्ष होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि कोई भी कार्रवाई विधि के अनुसार हो अन्यथा उसे तत्काल निरस्त किया जाये।

उल्लेखनीय है कि बार कौंसिल के सचिव अमित कुमार वर्मा की ओर से बीते 22 मई को महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा व तीन अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें यह नोटिस रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर की शिकायत को लेकर है। कुंदन सिंह ने एक जनहित याचिका निःशक्त जन स्त्रोत संस्थान में हाईकोर्ट में दायर की है, जिसमें एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप पर जांच का निर्देश दिया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ याचिका दायर की गई उन्हें महाधिवक्ता ने अपने कक्ष में बुलाकर सलाह दी है।

 

 

 

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