पिता सुरक्षा गार्ड, मां चाय बेच इडली बेचकर परिवार चला रही थी

रायपुर। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के साथ ही छत्तीसगढ़ के लोगों को इस खबर ने भी गौरवान्वित किया कि इस अभियान के लिए बनाई गई टीम में अपने राज्य के कई युवा शामिल थे। इनमें एक हैं चरौदा के भरत कुमार।
भरत के पिता बैंक में सुरक्षा गार्ड हैं और बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे। इसके लिए आर्थिक समस्या आड़े आती थी सो भरत की मां ने चरौदा में एक टपरी पर इडली चाय बेचने का काम शुरू किया। चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता चढ़ता है। कोयले की इसी काली गर्द के बीच भरत मां के साथ यहां चाय देकर, प्लेट्स धोकर परिवार की जीविका और अपनी पढ़ाई के लिए मेहनत कर रहा था। भरत की स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय चरौदा में होने लगी। जब भरत नौवीं में था, फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गयी थी पर स्कूल ने फीस माफ की और शिक्षकों ने कॉपी किताब का खर्च उठाया। भरत ने 12 वीं मेरिट के साथ पास की और उसका आईआईटी धनबाद के लिए चयन हुआ। फिर आर्थिक समस्या आड़े आई तो रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत का सहयोग किया। यहां भी भरत ने अपनी प्रखर मेधा का परिचय दिया और 98 प्रतिशत के साथ आईआईटी धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया। जब भरत इंजीनियरिंग के 7वें सेमेस्टर में था तब  इसरो ने वहां अकेले भरत का प्लेसमेंट में चयन किया और फिर चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा बने। मात्र 23 साल का हमारा यह युवा चंद्रयान 3 की टीम के सदस्य के रूप में ‘गुदड़ी के लाल’ कहावत को सही साबित कर रहा है।
इसके अलावा तखतपुर के विकास श्रीवास सन् 2007 से इसरो में साइंटिस्ट हैं। रॉकेट की डिजाइन तैयार करने वाली टीम में वे शामिल रहे। इसरो में डिप्टी डायरेक्टर अनिता भट्टाचार्य का ससुराल बिलासपुर में हैं। उनके पति अमिताभ भट्टाचार्य भी साइंटिस्ट हैं। बिलासपुर की स्वाति स्वर्णकार भी इसरो में वैज्ञानिक हैं और वे भी चंद्रयान-3 मिशन में शामिल रहीं।

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