बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का समापन

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में बांग्लादेश के 50 न्यायिक अधिकारियों का 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार तक चला। समापन कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा ने न्यायपालिका में न्यायालय प्रबंधन और तकनीक के उपयोग विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का मुख्य कार्य निष्पक्ष और शीघ्र न्याय प्रदान करना है। न्यायाधीशों को कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए ना केवल अच्छा प्रबंधक होना आवश्यक है बल्कि तकनीकी रूप से निपुण होना भी आवश्यक है। उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्य और न्यायालय की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग प्रकिया से भी बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों को अवगत कराया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न्यायाधीशों की व्यावसायिक क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से बारीकी से तैयार किया गया था। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवक्ता के रूप में कानून के विभिन्न क्षेत्रों से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान छत्तीसगढ़ उच्च न्यायायल के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला व  फौजिया मिर्जा ने बांग्लादेश से आये न्यायाधीशों के समक्ष व्याख्यान दिया। बांग्लादेश से आये न्यायाधीशों को अधिवक्ता अमृतो दास एवं नौशीना अली ने भी संबोधित किया था। हिदायतुल्ला विधि विश्वविद्यालय के विधि संकाय से अनिन्द्य तिवारी और कलिंगा विश्वविद्यालय के आयुश गोंडाले ने भी न्यायाधीशों को विभिन्न विषयों पर संबोधित किया।
प्रशिक्षण के एक-एक सत्र को वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक अधिकारी अरुण पाण्डेय, सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार जनरल अशोक पण्डा, राज्य के न्यायिक अधिकारी के.एल. चरयाणी एवं पंकज शर्मा ने भी सम्बोधित किया। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी की निदेशक सुषमा सावंत एवं अतिरिक्त निदेशक गरिमा शर्मा ने भी भारत में प्रचलित विधिक सिद्धांतों से बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों को अवगत कराया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के हॉस्टल में की गई थी। यह सम्पूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम अकादमी के पेटन-इन-चीफ एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति सिन्हा के मार्गदर्शन में किया गया । छत्तीसगढ राज्य न्यायिक अकादमी के चेयरमेन, न्यायाधिपति संजय के. अग्रवाल ने प्रशिक्षण की प्रत्येक व्यवस्थाओं पर अपनी नजर रखी। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने लगातार दो दिवस एक-एक सत्र में दांडिक अपील एवं सिविल अपील के संबंध में विस्तारपूर्वक न्यायिक अधिकारियों को संबोधित किया। बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों को उनके दोनों ही सत्र उपयोगी लगे। अकादमी के अन्य सदस्य न्यायाधिपति राकेश मोहन पाण्डेय ने भी जमानत के प्रावधान विषय पर व्याख्यान दिया और संबंधित विभिन्न प्रावधानों एवं न्याय दृष्टांतों से अधिकारियों को अवगत कराया।
यह प्रशिक्षण इस मायने में एक ऐतिहासिक महत्व के रूप में दर्ज हुआ कि पहली बार राज्य न्यायिक अकादमी ने देश की सीमा के बाहर के न्यायिक अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागी न्यायिक अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सत्कार और अन्य व्यवस्थाओं के लिए आभार व्यक्त किया।
सत्र के दौरान बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों के सम्मान में मुख्य न्यायाधिपति सिन्हा ने छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में रात्रि भोज एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में हाई-टी रखा। दोनो ही अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अन्य  न्यायाधिपति उपस्थित थे। बांग्लादेश के न्यायाधीशों ने इस दौरान उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय बिलासपुर का भ्रमण कर न्यायिक कार्य को देखा एवं समझा और तहसील बिल्हा के ऐतिहासिक स्थल ‘ताला’ का भ्रमण कर अभिभूत हुए।

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