बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के घने जंगल और एलिफेंट रिजर्व इलाकों में कोयला खदानों की नीलामी को स्थगित करने के सरकार के फैसले का अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् का स्वागत किया है।

परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष संतकुमार नेताम ने इसे आदिवासी हितों की जीत बताते हुए कहा है कि इस वर्ष 19 जून को परिषद् ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को ज्ञापन भेजकर मांग की थी कि पांचवी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में बिना ग्राम सभाओं की अनुमति के लिये कोल ब्लॉक आबंटन और नीलामी रद्द की जाये। विगत 50 वर्षों में देखा गया है कि सार्वजनिक व निजी कम्पनियों द्वारा जिन इलाकों में कोयला खनन किया गया वहां सत्ता से जुड़े कुछ व्यक्तियों को ही लाभ हुआ और वन उत्पादों तथा खेती के जरिये जीवन यापन करने वाले आदिवासी हाशिये पर चले गये। कोल ब्लॉकों का आबंटन अनुसूची 5 में शामिल क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की अनुमति के नहीं किया जा सकता अतएव इन स्थानों पर नीलामी रद्द की जाये और पूरी तरह वनाधिकार कानून तथा पेसा एक्ट लागू करायें।

केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कल रायपुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ हुई बैठक में इस पर सहमति जताई है जिससे लेमरू एलिफेंट रिजर्व फारेस्ट एरिया सहित पांच क्षेत्रों में कोल ब्लॉक की नीलामी का प्रस्ताव पर रोक लगा दी गई। यह आदिवासियों के हित में परिषद् द्वारा किये गये प्रयास का परिणाम है।

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