सुराजी गांव योजना के गौठान के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

बिलासपुर। सुराजी गांव योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बारी के माध्यम से हम सामाजिक गतिविधियों में सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। महात्मा गांधी का ‘आत्मनिर्भर गांव’ का सपना था। उसे साकार करने में यह योजना सहायक सिद्ध होगी। कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने आज प्रार्थना सभा भवन में सुराजी गांव योजना के गौठान के संबंध में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में संबोधित कर रहे थे।

कलेक्टर डॉ. अलंग ने कहा कि इस योजना के माध्यम से भूजल रिचार्ज, सिंचाई, आर्गेनिक खेती में मदद, किसानों को दोहरी फसल लेने में आसानी एवं पशुओं की उचित देखभाल हो सकेगी। नरवा योजना सफल होने पर बाकी योजना अपने आप सफल हो जायेगी। गौठान, पशुओं को संरक्षित करने का दायरा बनाता है। गौठान प्रशिक्षण के बाद इस योजना में पूरे मन से लगना है। यह कार्य अतिरिक्त न होकर स्वाभाविक लगे, उस स्तर तक ले जाना है। मास्टर ट्रेनर अपने स्तर से विकासखंडों में तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं और योजना को सफल बनाएं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितेश अग्रवाल ने सुराजी गांव योजना की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि गौठान समितियों को सक्रिय करें। इसके सफल संचालन के लिये गांव वालों को उनके समझ के अनुरूप समझाना होगा। इसमें महिला समूहों को भी जोड़ें। अतिरिक्त आय अर्जित करने खाद, दीया, धूप अगरबत्ती निर्माण के लिये प्रोत्साहित किये जाय। इससे प्राप्त आमदनी समिति की होगी। उन्होंने पशुओं के लिये गौठान, पशु चराने की प्रथा, चरवाहा, उसकी दिनचर्या एवं आमदनी के संबंध में अवगत कराया।

स्टेट मास्टर ट्रेनर रजनीश सिंह ने एनजीजीबी (नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी) की तकनीकी जानकारी दी। कार्यशाला में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

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