बिलासपुर। गलत प्रमाण पत्र के आधार पर बर्खास्त शिक्षा कर्मियों को दिए जा चुके वेतन की वसूली ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से करने के कलेक्टर के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। रायपुर जिले के अभनपुर ब्लॉक में सन 2007 में शिक्षा कर्मियों की भर्ती हुई थी। बाद में शिकायत मिलने के बाद उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई। इनके दस्तावेज व प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। तब तक इन बर्खास्त शिक्षाकर्मियों को 2 लाख से अधिक रुपए वेतन के रूप में दिए जा चुके थे। कलेक्टर ने इस राशि की वसूली ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह जाट से करने का आदेश दिया। इसके परिपालन में एक लाख से अधिक रुपए की वसूली भी कर ली गई। बाद में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह ने अधिवक्ता राजेश केशरवानी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि वह भर्ती कमेटी में सदस्य थे और वसूली का आदेश जारी करने के पहले उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। न ही कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसके अलावा वे द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी हैं और उन पर किसी तरह का दंड आरोपित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं बल्कि संभाग आयुक्त को है। जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम, वर्गीकरण नियंत्रण और अपील 1966 के उप नियम 16 में दिए गए प्रावधान का पालन किए बिना शासकीय सेवक पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। याचिकाकर्ता ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह जाट ने एक दूसरी याचिका भी दायर की और कहा कि उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और जवाब देने के बावजूद दो वेतन वृद्धि रोक दी गई। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर कारण बताओ नोटिस देकर जुर्माना लगाया जा सकता है, पर यदि आरोपों से इनकार किया जाए तो बिना जांच के जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। हाईकोर्ट ने वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को भी निरस्त कर दिया है।

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