रामविचार नेताम ने कहा मानसिक दिवालियापन, रेणुका सिंह ने भी की कड़ी निंदा

रायपुर/अंबिकापुर। रामानुजगंज के विधायक बृहस्पति सिंह के ताजा बयान से एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है और राजधानी से लेकर सरगुजा तक सियासत गरमा गई है। आदिवासियों को अंगूठा छाप कहने के खिलाफ भाजपा ने आज अंबिकापुर में उनका पुतला फूंका वहीं, राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम और केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने भी उनके बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बृहस्पति सिंह तब बौखला गए थे जब उनसे पूछा गया कि क्या आप अब माफी मांगने के बाद अब अंबिकापुर थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट को भी वापस लेंगे?  इस पर कोई साफ-साफ उत्तर देने के बजाय बृहस्पति सिंह ने मीडिया पर ही उंगली उठाते हुए कहा कि आप लोग पढ़े लिखे हैं, बुद्धिजीवी हैं। अंगूठा छाप आदिवासियों की तरह सवाल क्यों कर रहे हैं।

आदिवासियों को अंगूठा छाप बताये जाने को लेकर तुरंत भाजपा की ओर से प्रतिक्रिया आई।

राज्यसभा सांसद नेताम ने कहा कि जिस आदिवासी समाज के रहमो-करम पर बृहस्पति सिंह विधायक जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं उनको ही लताड़ना उनके मानसिक दीवालियेपन का स्पष्ट उदाहरण है। स्वयं आदिवासी होकर समाज के प्रति ऐसी दुर्भावना रखते हैं। ऐसे विधायक के विरोध में निंदा के शब्द भी कम पड़ जाएंगे। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने विधायक के बयान को आदिवासी गौरव और अस्मिता के खिलाफ बताया और इसकी कड़ी निंदा की है।

बयान की प्रतिक्रिया अंबिकापुर में भी हुई जहां भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने विधायक बृहस्पति सिंह का पुतला घड़ी चौक पर फूंका। भाजपा कार्यकर्ता पुतले में आग लगा लगाकर बाइक पर घड़ी चौक पहुंचे। पुलिस की मौजूदगी और बीच-बचाव के दौरान ही पुतला राख हो गया। सरगुजा सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष अनूप टोप्पो ने कहा है कि जिस आदिवासी समाज से खुद बृहस्पति सिंह आते हैं उनके बारे में ऐसा कहना घोर निंदनीय है। उन्हें एक मौका देंगे। सार्वजनिक रूप से अपने इस बयान के लिए बृहस्पति सिंह माफी मांग लेते हैं तो ठीक है, वरना विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को प्रत्येक ब्लॉक में आदिवासी सम्मेलन के दौरान उनके विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया जाएगा और फिर पुतला फूंका जायेगा।

बृहस्पति सिंह के बयान को लेकर अभी कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

ज्ञात हो कि पूरा मामला अंबिकापुर में पिछले दिनों बृहस्पति सिंह के काफिले को ओवरटेक कर पत्थर फेंकने की घटना से शुरू हुआ था। उनके साथ चल रही गाड़ी की कांच के शीशे टूट गए थे। मामले में एक अम्बिकापुर कोतवाली पुलिस ने विधायक के सहयोगी की एफआईआर पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो अब जमानत पर छूट चुके हैं। इनमें एक को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का रिश्तेदार बताया गया है। बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव पर सीधे हत्या का षड़यंत्र रचने का आरोप लगा दिया था। अम्बिकापुर के अलावा रायपुर में भी उन्होंने अपना बयान दोहराया था। इसके बाद मामले ने इतना तूल पकड़ा विधानसभा की कार्रवाई में भी गतिरोध आ गया। सिंहदेव ने अपनी स्थिति असहज पाकर विधानसभा नहीं आने की घोषणा कर दी। बाद में गृह मंत्री के स्पष्टीकरण और बृहस्पति सिंह द्वारा खेद व्यक्त करने के बाद मामला शांत हुआ था। इसके बाद भाजपा सांसद रामविचार नेताम का बयान आ गया था कि बृहस्पति सिंह जब सिंहदेव से माफी मांग सकते हैं तो उनसे भी माफी मांगे क्योंकि वह उन पर भी 6 महीने पहले इसी तरह का आरोप लगा चुके हैं। इसके बाद कल पत्रकारों से बातचीत के दौरान बृहस्पति सिंह ने मीडिया व आदिवासी समुदाय के बारे में विवादित बयान दिया।

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