राजिम माता शोध संस्थान व नये मेला स्थल के लिये जमीन आबंटित

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि धर्म-नगरी राजिम केवल एक शहर नहीं है, बल्कि यह पूरे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतीक है। यहां केवल तीन नदियों का ही संगम नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक संगम भी होता है। पूरे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा, महाराष्ट्र के लोग भी राजिम पहुंचते हैं।

यह बात बघेल ने आज राजिम में साहू समाज द्वारा आयोजित भक्तिन महतारी राजिम दाई के जयंती महोत्सव में कही। उन्होंने कहा कि राजिम का सैकड़ों साल पुराना इतिहास है। राजिम मेले को व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नये मेला-स्थल के लिए 54 एकड़ जमीन का चिन्हांकन कर लिया गया है। इसमें कुछ निजी जमीन भी शामिल है, जिसके बारे में भू-स्वामी किसानों से सहमति ले ली गई है। राजिम मेले के दौरान साधु-संतों, शासकीय कर्मचारियों तथा बाहर से आने वाले अन्य लोगों को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए चिन्हित स्थल पर सभी आवश्यक इंतजाम तथा निर्माण किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। महादेव घाट पर आज मेले के लिए जगह नहीं बची, ऐसी हालत राजिम में निर्मित नहीं होने दी जाएगी।

राजिम मेला स्थल में उन्होंने प्रदेश साहू संघ के आयोजन  स्थल पर माता राजिम की पूजा-अर्चना एवं माल्यार्पण कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर गृह, जेल, लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, संसदीय सचिव  शकुंतला साहू,महासमुंद  सांसद चुन्नी लाल साहू, बिलासपुर सासंद अरुण साव, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, थानेश्वर साहू, पूर्व सांसद चन्दूलाल साहू, अभनपुर  विधयक धनेद्र साहू, विधायक अमितेश शुक्ल, प्रदेश साहू संघ के अध्यक्ष अर्जुन हिरवानी, संरक्षक  विपिन साहू, पूर्व मंत्री  रमशीला साहू , साहू समाज के पदाधिकारी डॉ ममता साहू, मोती लाल साहू, अन्य प्रतिनिधि, सदस्य उपस्थित थे

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