बिलासपुर। राज्य निःशक्त जन स्त्रोत संस्थान के मामले के याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में महाधिवक्ता तथा पांच विधि अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मानहानि की याचिका दायर की है।

अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद निःशक्त जन स्त्रोत संस्थान के नाम पर एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले की जांच का आदेश दिया था। इसके दूसरे दिन पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को साथ लेकर हाईकोर्ट आ गये थे। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने उनको अपने चेम्बर में ले जाकर चर्चा की। जिन लोगों पर एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है, उन्हें उन्होंने कानूनी सलाह दी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाधिवक्ता ने अपने जूनियर वकीलों के माध्यम से अधिकारियों की ओर से याचिका भी दायर की। यह याचिका मुख्य सचिव के नाम पर दायर की गई लेकिन मुख्य सचिव को इस बात की जानकारी ही नहीं थी। बगैर उनकी अनुमति के याचिका दायर करना भी जांच का विषय है। हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध महाधिवक्ता ने 7 फरवरी तक रिव्यू याचिका दायर करने का समय लिया था लेकिन उन्होंने दायर नहीं किया। सूचना के अधिकार से उन्हें पता चला है कि कोई हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध कोई रिव्यू याचिका अब तक दायर नहीं की गई है। शिकायतकर्ता कुंदन सिंह ने स्टेट बार कौंसिल से भी इसकी शिकायत की है।

ज्ञात हो कि इस हाईकोर्ट ने इस मामले में बीते 30 जनवरी को आदेश जारी कर सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच का निर्देश दिया था। आदेश में केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह और 6 आईएएस सहित 13 अधिकारियों से पूछताछ करने के लिये कहा गया है।

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