28 एकड़ भूमि नाइट लैंडिंग उपकरण लगाने तुरंत जरूरी, रनवे विस्तार हेतु कुल 270 एकड़ भूमि की मांग

सेना के कब्जे में वर्तमान में एयरपोर्ट के चारों ओर 1012 एकड़ जमीन 11 साल से खाली पड़ी

बिलासपुर। हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस सैम पी कोसी की विशेष खंडपीठ ने बिलासपुर एयरपोर्ट के 4सी आईएफआर स्तर तक विकास के लिए लगी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय को उसके कब्जे वाली जमीन को एयरपोर्ट विकास के लिए वापस करने की मांग पर अपना रुख साफ करने कहा।  4 मार्च 2021 के बाद आज पहली बार हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं की सुनवाई हुई। गौरतलब है कि पूर्व में लगातार मॉनिटरिंग होने पर एक मार्च 2021 से बिलासा बाई केवट एयरपोर्ट पर नियमित विमान सेवा प्रारंभ हो पाई थी।

आज हुई सुनवाई के दौरान पत्रकार कमल दुबे की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने खण्डपीठ को मामले के बैकग्राउंड और अभी के स्टेटस की जानकारी दी। इसके पश्चात हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने वर्तमान में आवश्यक कार्यों और जमीन की आवश्यकता पर तकनीकी बिन्दुओं के साथ प्रकाश डाला। खण्डपीठ को बताया गया कि नाइट लैंडिंग कार्य के लिये सिविल और इलेक्ट्रिकल दोनों तरह के कार्य होने हैं। इस पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को तकनीकी मार्गदर्शन और सुपरविजन करना है। इस बारे में एएआई को निर्देश दिया जाना आवश्यक है। वहीं नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना वर्तमान रनवे 1500 मीटर के अलावा 300 मीटर बाहर तक होनी है और यह जमीन सेना के कब्जे में है। राज्य के एडवोकेट जनरल सतीश चन्द्र वर्मा ने भी कहा कि 28 एकड़ जमीन की तुरंत आवश्यकता है। खण्डपीठ को यह भी बताया गया कि सेना के कब्जे में कुल 1012 एकड़ जमीन है जो 2011 के भू अधिग्रहण के बाद से खाली पड़ी है। सेना ने अपना ट्रेनिंग सेंटर और छावनी का प्रोजेक्ट ड्रॉप कर दिया है। इस जमीन में से 270 एकड़ जमीन 2885 मीटर रनवे और 4सी आईएफआर एयरपोर्ट के लिए आवश्यक है।

केन्द्र सरकार और रक्षा मंत्रालय की ओर से उपस्थित उप सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने इस मसले पर रक्षा मंत्रालय से निर्देश लेकर अपना स्टैंड बताने की बात कही। एएआई की ओर से अधिवक्ता अनुमेह श्रीवास्तव ने नाइट लैंडिंग कार्य में आवश्यक तकनीकी मदद का भरोसा दिया। सुनवाई के अंत में खण्डपीठ में आदेश पारित करते हुए  रक्षा मंत्रालय को तुरंत 28 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने और शेष अन्य भूमि जिसकी आवश्यकता बिलासपुर एयरपोर्ट विकास के लिए है, पर क्लियर स्टैंड लेकर अवगत कराने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को रखी गई है।

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