प्रदूषित पानी के चलते मस्तूरी दर्राभाठा के दर्जनों मरीज जिला अस्पताल में पहुंच रहे है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा दावा किया जा रहा है कि मरीजों की सभी दवाएं और इंजेक्शन अस्पताल में उपलब्ध है, पर हकीकत यह है कि कई मरीजों को दवा बाहर की दवा दुकानों से खरीदना पड़ रहा है। इसके लिए उनके तीन-चार हजार रुपए खर्च भी हो गए हैं।

मरीजों का कहना है कि डाक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नही है। लगभग सभी दवाइयां उन्हे अपने पैसे से खरीदना पड़ रहा है। इस मामले में जब जिला अस्पताल के सह मुख्य अधीक्षक डॉ एसएस भाठिया से पुछा गया तो उन्होने इस आरोप को खारिज करते हुए उन्होने कहा कि यह झूठा आरोप है प्राथमिेक उपचार की सभी दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध है।

मालूम हो कि दूषित पानी पीने की वजह से तेजी से लोग डायरिया के शिकार हो रहे है। शहर के जिला अस्पताल में अब तक दो दर्जन से अधिक मरीज डायरिया के मिले हैं और लगातार ये संख्या बढ़ती जा रही है, गंभीर हालत मे लोग अस्पताल पहुंच रहे है।

वर्तमान में मस्तूरी के ग्राम दर्राभाठा में हैंडपंप के दूषित पानी पीने की वजह से 100 से अधिक लोग बीमार पड़ गए हैं, जिनमें से 18 का इलाज अब भी जिला अस्पताल में चल रहा है। सिम्स में भी कई मरीज लगातार पहुंच रहे हैं।  दर्राभाठा में एक महिला की मौत भी हो चुकी है।

गांव में जिला स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से शिविर लगाए गए है। दर्राभाठा में स्थानीय निवासियों ने आशंका जताई है कि हेंडपंप से निकलने वाला पानी दूषित है। यहां लगाया गया बोर फेल हो गया है, जिसके बाद उन्हें हेन्डपम्प का पानी पीना पड़ रहा है। कुछ हेन्डपम्प पीएचई ने सील भी कर दिए हैं। यहां पानी का एक टैंकर भी भेजा गया है, जो ग्रामवासियों की जरूरत के हिसाब से नाकाफी है।

मंगलवार को हैंडपंप का पानी पीने से 34 लोग बीमार हो गए थे और एक महिला की मौत भी हो गई थी।

पीएचई ने सैंपलिंग की

सूचना मिलते ही पीएचई की टीम मौके पर गांव पहुंची और दूषित पानी निकलने वाले हैंडपंप के पानी और अन्य स्त्रोंतो की सैंपलिंग की। जिला प्रशासन ने जल्द से जल्द की गई सेंपलिंग की रिपोर्ट मांगी है जिससे आवश्यक उपाय किए जा सके।

इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग पीडि़त

मस्तूरी के दर्राभाठा एवं आसपास क्षेत्र के ग्रामीण ज्यादातर डायरिया के शिकार हो रहे है। एक ही वार्ड में इस गांव के करीब आठ मरीज जो एक ही बीमारी से पीडि़त हैं। डाक्टरों का कहना है कि पिछले वर्ष भी इस क्षेत्र से ज्यादातर लोग इस बीमारी से पीडि़त थे।

स्वाथ्य विभाग ने इलाज के लिए लगाया शिविर

बिमारी की गंभीरता और मरीजों की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने गांव में ही शिविर लगाकर इलाज करना शुरू कर दिया है। ताकि मरीजों को राहत मिल सके। साथ ही गांव के ही पंचायत भवन में प्राथमिक उपचार के लिए विशेष वार्ड की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग सीएमओ, डॉ. बीबी बोर्डे का कहना है कि सूचना मिलते ही इलाज शुरू कर दिया गया है अभी इलाज किया जा रहा है जल्द से जल्द लोगों को बीमारी किस वजह से हो रही है इसका पता चल जाएगा। एनटीपीसी की ओर से भी यहां शिविर लगाकर इलाज किया जा रहा है।

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