डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी के कुलपति ने महामारी के बाद शिक्षा प्रणाली में आये बदलावों पर रखा विचार

बिलासपुर। डॉक्टर सी वी रामन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने शिक्षा प्रणाली पर अपनी बात रखते हुए कहा की कोविड-19 महामारी ने लाखों लोगों की जान ली, करोड़ों को बेरोजगार किया। दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ी, लेकिन इसका सकारात्मक पहलू यह है कि शिक्षा और व्यवसाय क्षेत्र को तकनीकी रूप से जिस काम में 10 साल पहले पारंगत होना था वह एक साल में ही हमारे सामने है। और हम इसमें दक्ष भी हो गए हैं। शिक्षा जगत को ऑनलाइन टीचिंग और व्यवसायिक जगत को वर्क फ्रॉम होम जैसा नया टूल प्राप्त हुआ है जिसे समाज के हर वर्ग को स्वीकार करना चाहिए।

प्रो. दुबे ने कहा कि महामारी से दुनिया के 1.2 बिलीयन विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। देश के विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल सहित सभी शिक्षण संस्थान इस आकस्मिक बदलाव के लिए तैयार नहीं थे। हमारे पास इतने संसाधन भी उपलब्धि नहीं थे कि नई शिक्षा व्यवस्था को लेकर संचालित किया जा सके, परंतु फिर भी देश में ऑनलाइन टीचिंग शुरू हो गई। अब शिक्षा डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे गूगल मीट, स्काई, वेब मैक्स आदि पर निर्भर है। यह समय ही बताएगा की मशीनी शिक्षा कितनी सार्थक होगी परंतु किसी भी स्तर पर शिक्षा में सहायक तो है। यह फेस टू फेस शिक्षा का पूर्ण विकल्प कभी नहीं बन सकती पर यह कहना गलत है कि इस शिक्षा से लाभ नहीं मिला। छात्रों की स्वयं के विषय को समझने की शक्ति बढ़ी है और बहुत अधिक मात्रा में विषय वस्तु प्राप्त हो रहे हैं। विशेषज्ञ शिक्षकों के लेक्चर भी मिल रहे हैं। ग्रुप डिस्कशन, वेबिनार, गोष्ठियां आदि अधिक संख्या में आयोजित की जा रही हैं। लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने से विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों को बहुत लाभ हुआ है। सोशल मीडिया पर भी विद्यार्थियों के सभी विषयों को बड़ी क्षमता से विकसित कर बहुत कम समय में वीडियो उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब व्यक्ति जॉब की तलाश में विश्वव्यापी सोच के साथ अपने शहर और देश की सीमा से बाहर निकल रहे हैं एवं योग्य लोगों के मिलने की संभावना बढ़ गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here