बिलासपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी ने आरोप लगाया है कि अडानी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ साठगांठ करके लेमरू हाथी परियोजना का क्षेत्र घटाने के लिए जोर लगा दिया है और वन विभाग के अधिकारी इसमें सहयोग कर रहे हैं।
बिलासपुर में अपने निवास मरवाही सदन में पत्रकारों से बातचीत कर जोगी ने लेमरू हाथी रिजर्व के विवाद पर बात रखी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत कोरबा से सरगुजा तक फैले जंगलों के 180 गांव की लगभग 3990 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 400 हाथियों का संरक्षण किया जाना था लेकिन अवकाश के दिन 26 जून को अपर सचिव केपी राजपूत ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को आदेश जारी कर हाथी रिजर्व क्षेत्र के 1995 वर्ग किलोमीटर को कम करके 450 वर्ग किलोमीटर करने का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया। वे इस पत्र में मंत्रिपरिषद् और मुख्यमंत्री का हवाला देते हैं। जिन आठ विधायकों का जिक्र इस पत्र में किया गया है, उनमें से पांच के क्षेत्र में परियोजना शामिल ही नहीं है। पत्र में सिर्फ 3 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है और सीएम इन वेटिंग  टीएस सिंहदेव का भी नाम भी लिया गया जिसका उन्होंने खंडन किया।
जोगी का आरोप है कि 14 जून को बंद कमरे में छत्तीसगढ़ अडानीगढ़ बनाने के लिए राजेश अदानी के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गुप्त बैठक हुई थी जिसमें यह सौदा किया गया। उन्होंने कहा वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भूपेश बघेल दोनों को अदानी ने उपकृत किया है पर 15 सालों में डॉ रमन सिंह ने सिर्फ दो कोयला खदानों को अनुमति दी वही भूपेश बघेल ने ढाई साल में लोहे और कोयले की 12 खदानों को मंजूरी दे दी है।
डॉ रमन सिंह ने खदानों को अदानी को सीधे चलाने की अनुमति नहीं दी बल्कि राज्य सरकारों राजस्थान, गुजरात, और महाराष्ट्र के माध्यम से की थी। भूपेश बघेल बाल्को, एनसीएल और सीजी एसपीजीसीएल जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार का स्वामित्व है, के माध्यम से मंजूरी दी है। डॉ. रमन सिंह कानून के अंतर्गत की औपचारिकता निभाई कम से कम फर्जी ग्राम सभायें रखीं पर बघेल ने कानून को ही बदल दिया और लाखों लोगों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया। अदानी ने किसी भी खदान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित बोली नहीं डाली बल्कि सरकारी उपक्रम जैसे छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान सरकारों के सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से समझौता करके फ्री में कोयला और लोहा निकालने और संचालन का लाइसेंस प्राप्त किया। स्वयं राहुल गांधी ने कुदमुरा और मदनपुर की जन चौपाल में लेमरू में कोयला खदान नहीं खोलने का वचन दिया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत छत्तीसगढ़ 5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 3.5 करोड़ का कोयला निकाल रहे हैं, जबकि इसकी एवज में सरकार को एक पैसे की रॉयल्टी नहीं मिलेगी। आज अकेले अदानी भूपेश सरकार द्वारा लगातार अंधाधुंध दिए जा रहे कंसेंट और इस्टैब्लिशमेंट प्रमाण पत्रों के दम पर छत्तीसगढ़ के वार्षिक बजट से 300 गुना अधिक का कोयला और लोहा निकालेंगे। अदानी छत्तीसगढ़ में धंधा करके छत्तीसगढ़ वासियों से उनका हक छीन रहा है।

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