बिलासपुर। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में नेत्रदान पखवाड़े का आयोजन स्कूलों में किया जा रहा है । इस का  उद्देश्य विद्यार्थियों में  नेत्रदान का महत्व बताना है और लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने के लिए प्रेरित करना है।

नोडल अधिकारी डॉ ए.के. सिन्हा ने बताया जिले के समस्त विकासखंडों में विशेष अभियान चलाकर विद्यार्थियों के साथ-साथ लोगों में भी नेत्रदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं साथ ही नेत्रदान के विषय में फैली भ्रांतियों को भी दूर किया जा रहा है ।कार्यक्रम में बताया जाता है किस प्रकार नेत्रदान करके दूसरे के जीवन में उजाला ला सकते हैं| नेत्रदान मृत्यु के 6 घंटे के अंदर किया जाता है । नेत्रदान की सुविधा घर पर भी निःशुल्क दी जाती है । यदि किसी व्यक्ति के द्वारा जीवन में नेत्रदान की घोषणा न की गई है, फिर भी रिश्तेदार मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते हैं।

डॉ. सिन्हा ने बताया नेत्रदाता को मृत्यु पूर्व एड्स, पीलिया, कर्करोग ( कैंसर), रेबीज सेप्टीसीमिया टिटनेस, हेपेटाइटिस तथा सर्पदंश जैसी बीमारी होतो उसे नेत्रदान के लिए योग्य नहीं  माना जाता। नेत्र ऑपरेशन पश्चात तथा चश्मा पहनने वाले व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं। मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं ।

नेत्रदान हेतु नजदीक के नेत्र बैंक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला चिकित्सालय मे संपर्क कर सकते हैं । जिले में नेत्रदान के इच्छुक लोग सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर फोन नम्बर 07752-222301 पर भी सम्पर्क कर नेत्रदान कर सकते हैं ।

नेत्र सहायक अधिकारी डॉ. संजय शुक्ला ने बताया इस पखवाड़े के माध्यम से बच्चों का आंखों की जांच भी की जा रही है। वे किस प्रकार आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं, यह बताया जा रहा है।  किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके विभिन्न अंगों को दान किया जा सकता हैं तथा उन रोगियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है जिनको आवश्यकता है। ऐसा ही एक अंग ‘आंख’ है। मृत्यु के बाद नेत्रदान से, क्षतिग्रस्त कॉर्निया की जगह पर नेत्रदाता के स्वस्थ कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जाता है। कार्निया प्रत्यारोपण द्वारा दृष्टिहीन व्यक्ति फिर से देख सकता हैं। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो दृष्टिहीन  परिवार की जिंदगियां संवर जाती है ।

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