राज्य सरकार व स्मार्ट सिटी कंपनी को जनहित याचिका पर नोटिस  

बिलासपुर। सिटी कोतवाली परिसर में स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से बनाई जा रही मल्टीलेवल कार पार्किंग के भूतल पर बनाई जा रही दुकानों के बिना आरक्षण आवंटन को हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिये चुनौती दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और स्मार्ट सिटी कंपनी से जवाब मांगा है। साथ ही दुकान आवंटन को हाईकोर्ट के अंतिम फैसले से बाधित रखा है।
हाईकोर्ट आज महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ कि स्मार्ट सिटी एक स्पेशल पर्पस व्हीकल कंपनी है। इसलिए आरक्षण नियम उस लागू नहीं होते। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव का तर्क था कि स्मार्ट सिटी का स्वामित्व राज्य सरकार और नगर निगम का है। इसलिए यह एक सरकारी कंपनी है और उस पर निगम के आरक्षण नियम पूरी तरह लागू होते हैं।
याचिका में दुकानों का निर्माण बिना नक्शा पास किए और भूखण्ड का स्वामित्व नहीं होने को भी चुनौती का आधार बनाया गया है। स्वयं शासन ने आज स्वीकार किया कि पहले दुकानों की निर्माण की कोई योजना नहीं थी और केवल कार पार्किंग बनाई जा रही थी, परन्तु बाद में पुलिस विभाग के लिए मकानों के निर्माण के लिए धन राशि की व्यवस्था करने हेतु दुकान निर्मित की जा रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नंद किशोर राज और महेश दुबे टाटा ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के फोटोग्राफ भी लगाए हैं। इन दुकानों का कोई नक्शा पास नहीं है और कार पार्किंग में सभी वेंटीलेशन को बंद कर भूतल को अवैध रूप से दुकानों में परिवर्तित किया गया है। इसके कारण अग्नि दुर्घटना की स्थिति में भारी जन धन हानि की आशंका है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार नगर निगम स्थायी संपत्ति अंतरण नियम 1994 के अनुसार दुकानों के आवंटन में नगर निगम क्षेत्र की एससी, एसटी, ओबीसी जनसंख्या के हिसाब से और महिला, विकलांग, भूतपूर्व सैनिक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जैसी श्रेणियों के लिए भी दुकान आरक्षित करने का प्रावधान है। आज शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि जून 2024 में स्मार्ट सिटी कंपनी समाप्त हो जाएगी और उक्त परिसर नगर निगम बिलासपुर के कब्जे में रहेगा। इस स्तर पर खंडपीठ ने सवाल उठाया कि फिर आप आज दुकान आवंटन करने का अधिकार कैसे रखते हैं। आज की सुनवाई में स्मार्ट सिटी की ओर से अधिवक्ता शशांक ठाकुर नगर निगम की ओर से आशीष तिवारी, केन्द्र सरकार की ओर से रमाकांत मिश्रा और याचिका दाखिल करने वाले सुदीप श्रीवास्तव उपस्थित थे।

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