प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने का हवाला देते हुए एफआईआर निरस्त करने की मांग

बिलासपुर। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। सिंह ने इस याचिका में प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने का हवाला देते हुए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि एडिशनल डीजी रहे सिंह के विरुद्ध एसीबी रायपुर ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर एफआईआर दर्ज की है। साथ ही उनसे मिले कथित आपत्तिजनक दस्तावेजों के चलते रायपुर की कोतवाली पुलिस ने भी राजद्रोह का प्रकरण दर्ज किया है। एक अन्य प्रकरण अवैध उगाही का भी दर्ज किया गया है। अपराध दर्ज करने में प्रक्रियाओं का पालन नहीं होने का हवाला देते हुए तथा राजनीतिक विद्वेष की वजह से षड़यंत्रपूर्वक फंसाये जाने का उल्लेख कर सिंह ने पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राहत नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी उनके पक्ष में आदेश नहीं सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में ही याचिका लगाने के लिये कहा था। इसके बाद उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत हासिल कर नई जानकारी के साथ धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में एक नई याचिका दायर की, जिस पर जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में आज सुनवाई हुई।

कोर्ट में याचिकाकर्ता सिंह के वकील की ओर से कहा गया कि उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग तथा केन्द्रीय कार्मिक विभाग से मंजूरी नहीं ली गई है, जो धारा 17 (क) के तहत अनिवार्य है। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि जीपी सिंह के प्रकरण में दोनों विभागों से अनुमति लेने का नियम लागू नहीं होता।

सुनवाई के दौरान सिंह के अधिवक्ता ने कोर्ट से मांग की कि उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी जाये अथवा अगली सुनवाई तक उस पर कार्रवाई में स्थगन दिया जाये। कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा है।

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