अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बेनर्जी ने वीसी के माध्यम से बहस की

राज्य शासन और शिकायतकर्ता की ओर से कल बहस

बिलासपुर। उच्च न्यायालय में आज एनआईए की उस याचिका की अंतिम सुनवाई शुरू हुई जिसमें एनआईए ने झीरम घाटी हमले को लेकर बस्तर पुलिस की ओर से की गई दूसरी एफआईआर पर रोक लगाने की मांग और उसे अन्वेषण के लिये एनआईए को ही दिये जाने का अनुरोध किया है। इस संबंध में पूर्व में एनआईए ने आवेदन दिया था जिसे एनआईए कोर्ट जगदलपुर ने राज्य शासन के आपत्ति के बाद खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय में उस फैसले के खिलाफ एनआईए ने अपील की है।

हाईकोर्ट में आज जस्टिस मनीन्द्र श्रीवास्तव और जस्टिस विमला सिंह कपूर की खण्डपीठ के समक्ष एनआईए की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बेनर्जी और सहायक सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की शुरूआत की। बेनर्जी के अनुसार एनआईए एक्ट के प्रभावशाली होने के कारण राज्य सरकार झीरम घाटी घटना से संबंधित किसी एफआईआर की जांच नहीं कर सकती। आगे जांच करने का अधिकार एनआईए को ही है चाहे घटना के बाद कितना भी समय बीत चुका हो। बहस के दौरान खण्डपीठ ने एनआईए के वकील से पूछा कि उसने जगदलपुर कोर्ट में सीआरपीसी के किस प्रावधान के तहत आवेदन लगाकर नई एफआईआर का अन्वेषण एनआईए को स्थानांतरित करने की मांग की थी। इस प्रश्न के जवाब में एनआईए के अधिवक्ता द्वारा कल उत्तर देने की बात कही है।

एनआईए ने शिकायतकर्ता जितेन्द्र मुदलियार के द्वारा एनआईए जांच पर असंतोष और संदेह जताने पर आपत्ति जताते हुये कहा कि कौन सी एजेंसी अपराध की जांच करेगी यह अपराधी या शिकायतकर्ता के इच्छा से निर्धारित नहीं हो सकता।

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