बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष, सचिव सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट क्षेत्र की चकरभाठा पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष पांडेय के विरुद्ध भी कौंसिल के पदाधिकारियों की शिकायत पर अधिवक्ता लाइसेंस लेने के लिये धोखाधड़ी करने के आरोप में अपराध दर्ज किया गया है।

पटवारी पद छोड़ने के बाद हाईकोर्ट में वकालत कर रहे संतोष पांडेय के अधिवक्ता लाइसेंस को निरस्त करने का मामला तब तूल पकड़ा जब बीते दिनों पांडेय ने बार कौंसिल के पदाधिकारियों पर बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रभाकर चंदेल तथा सचिव अमित वर्मा के विरुद्ध दो लाख और फिर उसके बाद सौदा करते हुए 60 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। पांडेय ने रिश्वत मांगने की वीडियो, आडियो रिकॉर्डिंग होने का दावा भी किया। बाद में पुलिस में की गई पांडेय की शिकायत पर चकरभाठा पुलिस ने पूर्व अध्यक्ष चंदेल, सचिव अमित वर्मा तथा नामांकन समिति के सदस्य चंद्रकुमार जांगड़े व कौंसिल के कर्मचारी पुष्पेन्द्र जायसवाल के विरुद्ध दाऱा 384, 467, 468, 471 एवं भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 एवं 13 (2) के तहत अपराध दर्ज किया है।

इधर पांडेय के खिलाफ भी चकरभाठा थाने में ही चंदेल की शिकायत पर 420, 467, 468 व 471 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज किया गया है। चंदेल ने शिकायत की है कि उन्होंने अधिवक्ता के रूप में पंजीयन कराने के लिये धोखाधड़ी की। उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करते हुए आवेदन किया था, जिसके दस्तावेज नहीं दिये थे। दस्तावेज नहीं मिलने पर जांच की गई तो मालूम हुआ कि वे जीवन निर्वाह भत्ता भी ले रहे हैं।

संतोष पांडेय के खिलाफ उमेश बंजारे नामक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ बार कौंसिल में शिकायत की थी। इस पर कौंसिल की नामांकन समिति ने कलेक्टर व एसडीएम से संतोष पांडेय की सरकारी सेवा के बारे में जानकारी मांगी थी। एसडीएम ने जवाब दिया कि 25 जनवरी 2018 को पटवारी संतोष पांडेय को निलम्बित किया गया था। उन्होंने 20 साल की सेवाअवधि पूरी होने के आधार पर 31 दिसम्बर 2017 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया था।

चंदेल का कहना है कि निलम्बन तथा जीवन निर्वाह भत्ता के बारे में झूठी जानकारी देने के बाद यह मामला राज्य अधिवक्ता परिषद् की बैठक में 10 जनवरी को रखा गया था। बाद में राज्य अधिवक्ता परिषद् की सामान्य सभा में भी यह मुद्दा रखा गया। इस पर अध्यक्ष को पांडेय के खिलाफ निर्णय लेने के लिये अध्यक्ष को अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

दूसरी ओर बार कौंसिल के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायत में पांडेय ने कहा है कि 10 जनवरी की बैठक में उनके खिलाफ विधि विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया गया। 13 जनवरी को तत्कालीन सचिव अमित वर्मा ने तीन दिन के भीतर शासकीय सेवा से सम्बन्धित दस्तावेज जमा करने की नोटिस दी। इसी दिन पांडेय ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत परिषद् से अपने ऊपर हो रही कार्रवाई को लेकर दस्तावेज मांगे जो उन्हें आधे अधूरे दिये गये। स्टेट बार कौंसिल का कार्यकाल एक फरवरी 2021 को समाप्त हो रहा था, इसलिये जवाब देने के लिये दिये गये समय के बीत जाने के पहले ही 30 जनवरी को ही उनके खिलाफ आदेश पारित कर दिया गया। इस दौरान ही उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिये अध्यक्ष व सचिव ने रिश्वत की मांग की।

पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि बार कौंसिल के पूर्व पदाधिकारियों तथा संतोष पांडेय के खिलाफ एक दूसरे की शिकायतों के आधार पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है। जांच की जा रही है।

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